अहोई अष्टमी 2025: चाँद निकलने का समय और पूजा विधि
अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए इसे मनाती हैं। यह व्रत करवा चौथ के कुछ दिनों बाद आता है और इसे देवी पार्वती के रूप में अहोई माता की पूजा के लिए जाना जाता है। इस वर्ष, अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। माताएं इस दिन निर्जला व्रत रखेंगी और तारों को देखकर अपना व्रत खोलेंगी। आइए जानते हैं इस व्रत का मुहूर्त, इसकी पौराणिक कथा और राधाकुंड में स्नान की विशेष परंपरा के बारे में।
हरियाणा में अहोई अष्टमी पर चाँद निकलने का समय
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस साल, यह व्रत 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:54 बजे प्रारंभ होगा और 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:39 बजे तक चलेगा। यह व्रत पुत्र और पुत्री दोनों की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, जो संतान के प्रति समर्पित है। इस व्रत की एक विशेष कथा भी है, जो माताओं को संतान की रक्षा के लिए प्रेरित करती है। करवा चौथ की तरह, इस व्रत में भी निर्जला रहना होता है, लेकिन चंद्रमा की बजाय तारों को देखकर व्रत खोला जाता है।
अहोई अष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, अहोई अष्टमी का पूजा मुहूर्त शाम 5:33 बजे से 6:47 बजे तक रहेगा। इस दौरान माताएं अहोई माता की कथा पढ़ या सुन सकती हैं। तारों को देखने का समय शाम 5:56 बजे होगा, जबकि चंद्रमा रात 11:08 बजे प्रकट होगा। इस समय के अनुसार माताएं व्रत की पूजा और अनुष्ठान पूरा करेंगी।
राधाकुंड में स्नान की परंपरा
अहोई अष्टमी के दिन मथुरा के राधाकुंड में स्नान करने की विशेष परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन राधाकुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं। हर साल लाखों लोग इस पवित्र स्थल पर स्नान करने आते हैं। इस दिन दंपती आधी रात को लाल कपड़े में बंधे फल को राधाकुंड में छोड़ते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।