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आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण सम्मेलन की तैयारी

आंध्र प्रदेश 14 और 15 सितंबर को तिरुपति में राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहा है। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से महिला प्रतिनिधि, निर्वाचित नेता और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। कलेक्टर ने विश्व स्तरीय सुविधाओं और मेहमानों की मेज़बानी पर जोर दिया है। जानें इस सम्मेलन का मुख्य फोकस और तैयारियों के बारे में।
 

महिला सशक्तिकरण सम्मेलन का आयोजन

आंध्र प्रदेश पहली बार एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेज़बानी करने जा रहा है। 14 और 15 सितंबर को तिरुपति में राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए तैयारियाँ जोरों पर हैं। जिला प्रशासन इस कार्यक्रम को राज्य के लिए गर्व का विषय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।


जिला कलेक्टर डॉ. एस. वेंकटेश्वर ने आंध्र प्रदेश विधान सचिव जनरल सूर्यदेवरा प्रसन्ना कुमार और संयुक्त कलेक्टर शुभम बंसल के साथ एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे देशभर से आने वाले गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं और बेहतरीन समन्वय सुनिश्चित करें।


कलेक्टर ने कहा कि कार्यक्रम की सफलता में संपर्क अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। इन अधिकारियों को मेहमानों को आवास, परिवहन, सुरक्षा, चिकित्सा देखभाल और प्रोटोकॉल जैसी सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि अगले चार दिनों तक सभी अधिकारी मिलकर अपने कर्तव्यों का पालन करें। मेहमानों की मेज़बानी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनके ठहरने के स्थानों पर हेल्प डेस्क और मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को याद दिलाया कि वे प्रतिनिधियों के साथ सम्मानजनक और सकारात्मक तरीके से बातचीत करें, ताकि मेहमान तिरुपति और यहां के लोगों की एक यादगार छाप लेकर वापस जाएं।


इस सम्मेलन का मुख्य फोकस महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व, रोजगार के अवसर और सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी पर होगा। भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी की अध्यक्षता में होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से महिला प्रतिनिधि, निर्वाचित नेता, सरकारी अधिकारी और समाज सेवा संगठन एक साथ आएंगे। इस दौरान विभिन्न राज्यों से महिला सशक्तिकरण के सफल मॉडलों को प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि नीतिगत सिफारिशों के लिए नई दिशा मिल सके।