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आनंद शर्मा का इस्तीफा: कांग्रेस में युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम

वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह निर्णय पार्टी के पुनर्गठन में सहूलियत देने और युवा नेताओं को नेतृत्व में शामिल करने के उद्देश्य से लिया गया है। शर्मा ने अपने पत्र में कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में विभाग की भूमिका को रेखांकित किया। उनका इस्तीफा कांग्रेस में नेतृत्व में पीढ़ीगत संक्रमण का संकेत है, जो नए और ऊर्जावान नेताओं को अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

आनंद शर्मा का इस्तीफा

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने 10 अगस्त, रविवार को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग (डीएफए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। उन्होंने यह कदम पार्टी के पुनर्गठन में मदद करने और युवा नेताओं को नेतृत्व में शामिल करने के उद्देश्य से उठाया है। शर्मा ने लगभग एक दशक तक इस विभाग का नेतृत्व किया और उनका मानना है कि नए चेहरों को मौका देने से विभाग की कार्यक्षमता में सुधार होगा।


कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे गए पत्र में शर्मा ने कहा, "जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, मेरा मानना है कि समिति का पुनर्गठन आवश्यक है ताकि युवा नेताओं को जोड़ा जा सके। इससे विभाग के कार्य में निरंतरता बनी रहेगी।" उन्होंने इस्तीफे का कारण पुनर्गठन की प्रक्रिया को सुचारू बनाना बताया और पार्टी नेतृत्व को अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया।


डीएफए की भूमिका

आनंद शर्मा ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि पिछले वर्षों में विदेश मामलों का विभाग एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व, यूरोप और लैटिन अमेरिका के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ कांग्रेस के संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इस विभाग ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ नेतृत्व प्रतिनिधिमंडल के आदान-प्रदान के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया है, जिसने कांग्रेस की वैश्विक पहचान को बढ़ाया है।


कांग्रेस के अंतरराष्ट्रीय मामलों का प्रमुख चेहरा

आनंद शर्मा, कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के एक वरिष्ठ सदस्य हैं और लगभग 40 वर्षों से पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों में प्रमुख प्रतिनिधि रहे हैं। इस्तीफे के बावजूद, वे कांग्रेस के सदस्य बने रहेंगे। हाल ही में, उन्हें भारत की विदेश नीति को स्पष्ट करने के लिए सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश भेजा गया था।


कूटनीति में योगदान

अपने राजनीतिक करियर में, आनंद शर्मा ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पहल और समझौतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:


1. भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की वार्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी।


2. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के लिए विशेष छूट दिलाने का प्रयास।


3. भारत-अफ्रीका साझेदारी को संस्थागत रूप देकर पहला भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन आयोजित करना।


4. वाणिज्य मंत्री के रूप में पहले डब्ल्यूटीओ समझौते और व्यापक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना।


नई पीढ़ी के लिए अवसर

शर्मा का इस्तीफा पार्टी के भीतर बदलाव और नेतृत्व में पीढ़ीगत संक्रमण के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कांग्रेस के लिए एक अवसर है कि वह नए और ऊर्जावान नेताओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आगे बढ़ाए, साथ ही अनुभवी नेताओं के मार्गदर्शन का लाभ भी उठाए।