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आम आदमी पार्टी का विपक्षी गठबंधन से बाहर निकलना: उपचुनाव की चुनौतियाँ

आम आदमी पार्टी अब विपक्षी गठबंधन से बाहर हो चुकी है, जिससे उसकी स्थिति कमजोर हुई है। कांग्रेस के साथ टकराव के बीच, चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। गुजरात में विसावदर और कडी सीटों पर भाजपा की जीत की संभावना है, जबकि केरल और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। जानें इन चुनावों का क्या असर होगा और किसका फायदा हो सकता है।
 

विपक्षी गठबंधन से आम आदमी पार्टी का अलगाव

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अब विपक्षी गठबंधन से लगभग बाहर हो चुकी है। कांग्रेस के साथ उनकी टकराव तो जारी है, लेकिन पहले 'इंडिया' ब्लॉक में उन्हें जो प्रादेशिक दलों का समर्थन मिलता था, वह भी समाप्त हो गया है। कुछ समय पहले तक, ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी जैसे दल आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहे थे। विपक्षी गठबंधन के भीतर एक ऐसा समूह था, जिसका उद्देश्य कांग्रेस को कमजोर करना था। लेकिन अब न तो 'इंडिया' ब्लॉक सक्रिय है और न ही उसका दबाव समूह। वर्तमान में चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में आम आदमी पार्टी का मुकाबला या तो कांग्रेस से है या फिर तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर कांग्रेस को हराने की कोशिश कर रही है।


उपचुनाव की स्थिति

इन उपचुनावों के परिणाम सोमवार, 23 जून को घोषित किए जाएंगे। इनमें से दो सीटें गुजरात की हैं। विसावदर सीट, जो पिछले चार चुनावों से भाजपा नहीं जीत पाई है, आम आदमी पार्टी ने पहले जीती थी। इस बार, आप ने गुजरात के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने नितिन रणपरिया और भाजपा ने किरीट पटेल को मैदान में उतारा है। चार चुनावों के बाद, यह सीट भाजपा के लिए जीतने की संभावना रखती है।


केरल और पंजाब में चुनावी मुकाबला

केरल में नीलांबुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पीवी अनवर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस, सीपीएम और भाजपा सभी इस सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस सीट के लिए प्रचार किया है। वहीं, पंजाब में लुधियाना वेस्ट की सीट पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। केजरीवाल ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को जिताने के लिए वहां डेरा डाला है।