आमिर खान मुत्तकी का आगरा दौरा क्यों हुआ रद्द? जानें इसके पीछे की वजहें
आमिर खान मुत्तकी का आगरा दौरा रद्द
आगरा यात्रा रद्द होने की जानकारी: अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी का आगरा दौरा, जो रविवार को निर्धारित था, अचानक रद्द कर दिया गया है। सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन दौरे के रद्द होने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। यह दौरा राजनयिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा था, खासकर जब दोनों देशों के पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं।
ताजमहल की यात्रा की योजना थी
मुत्तकी को रविवार सुबह दिल्ली से यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से आगरा के लिए रवाना होना था। उनका प्रस्थान सुबह 8 बजे निर्धारित था और ताजमहल के पूर्वी गेट के पास शिल्पग्राम पहुंचने का कार्यक्रम दोपहर 11 बजे था। योजना के अनुसार, उन्हें ताजमहल परिसर में इलेक्ट्रिक गाड़ी में भ्रमण कराना था और लगभग डेढ़ घंटे तक स्मारक का दौरा करने के बाद उन्हें दिल्ली लौटना था।
सुरक्षा इंतजाम थे कड़े
आगरा प्रशासन ने इस उच्चस्तरीय दौरे के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए थे। जिला प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी प्रकार की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया था, "किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होने दी जाएगी।"
राजनयिक दृष्टिकोण से दौरे का महत्व
यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह उस समय हो रहा था जब भारत और अफगानिस्तान दोनों के पाकिस्तान के साथ संबंधों में खटास है। दोनों देशों ने समय-समय पर पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं। मुत्तकी की भारत यात्रा को इस क्षेत्रीय भू-राजनीति के संदर्भ में एक सक्रिय कूटनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा था।
रद्द होने पर उठे सवाल
हालांकि, दौरे को अंतिम समय में रद्द करने के कारणों पर न तो अफगान पक्ष और न ही भारतीय अधिकारियों ने कोई औपचारिक टिप्पणी की है, लेकिन इससे राजनयिक और सुरक्षा पहलुओं को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। क्या यह सुरक्षा कारणों से हुआ या कोई रणनीतिक बदलाव था, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
आमिर खान मुत्तकी का ताजमहल दौरा केवल एक प्रतीकात्मक शिष्टाचार यात्रा नहीं थी, बल्कि इसे भारत-अफगान रिश्तों के बीच एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा था। इस दौरे का रद्द होना, भले ही प्रशासनिक कारणों से हो, लेकिन यह क्षेत्रीय राजनीति और दोनों देशों के कूटनीतिक समीकरणों में संभावित जटिलताओं की ओर भी इशारा करता है।