आरके सिंह की बागी सोच, भाजपा में जगह की तलाश
आरके सिंह का बागी तेवर
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह, जो नरेंद्र मोदी की सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं, भाजपा में अपनी स्थिति को लेकर असंतुष्ट हैं। उनकी बागी सोच के चलते भाजपा ने बिहार के लिए चुनाव अभियान समिति का गठन किया, जिसमें 40 से अधिक सदस्य शामिल हैं, लेकिन आरके सिंह को इसमें स्थान नहीं मिला। इसके बाद, भाजपा ने घोषणापत्र तैयार करने के लिए एक नई समिति बनाई, जिसमें भी उन्हें शामिल नहीं किया गया। यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि जब एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है, तो भाजपा अपना अलग घोषणापत्र क्यों बना रही है।
आरके सिंह ने भाजपा के स्थानीय नेताओं पर प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों को उठाया है और वे चाहते हैं कि भाजपा के नेता इस पर स्पष्टीकरण दें। भाजपा के नेता इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, लेकिन आरके सिंह की अपेक्षा है कि भाजपा के नेता प्रशांत किशोर को संतुष्ट करें, जिससे भाजपा के नेता नाराज हैं। बिहार में भाजपा के नेता उनके प्रति खुश नहीं हैं। आरके सिंह कांग्रेस सरकार के दौरान गृह सचिव रहे थे, जब उनके मंत्रालय ने हिंदू आतंकवाद का मुद्दा उठाया था।
हालांकि, अब कहा जा रहा है कि भाजपा ने आरके सिंह को कुछ समय के लिए चुप रहने को कहा है, और इसलिए वे मौन हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं होता कि उनकी इच्छाओं के अनुसार कुछ होने वाला है। लोकसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके आरके सिंह अब विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। कुछ समय पहले, उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री पद का सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मान लिया था।