×

आरबीआई ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखा

आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अनुकूल मानसून और कम मुद्रास्फीति के चलते यह निर्णय लिया गया। हालांकि, उन्होंने विकास दर में कमी की आशंका भी जताई है। इस बीच, भारतीय शेयर बाजार और रुपये की स्थिति में गिरावट जारी है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

आरबीआई की मौद्रिक नीति पर निर्णय


आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान


आरबीआई ने अनुकूल मानसून, कम मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी के चलते रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह जानकारी रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को MPC की बैठक के बाद दी।


उन्होंने बताया कि जीएसटी के सुधार से महंगाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे उपभोग और विकास को बढ़ावा मिलेगा। मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है और मौद्रिक नीति का रुख 'तटस्थ' बनाए रखा है।


विकास दर में संभावित कमी

मल्होत्रा ने कहा कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां सक्रिय रहेंगी, लेकिन टैरिफ संबंधी घटनाक्रमों के कारण विकास दर में कमी आने की आशंका है। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी और अन्य सुधार बाहरी कारकों के प्रभाव को कम कर देंगे।


इसके अलावा, मजबूत रेमिटेंस के चलते चालू खाता घाटा स्थिर रहने की उम्मीद है।


भारतीय शेयर बाजार और रुपये की स्थिति

हाल के दिनों में भारतीय बाजार में स्थिति अच्छी नहीं रही है। त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है, लेकिन शेयर बाजार में सुधार नहीं हो रहा है और रुपये की स्थिति भी कमजोर बनी हुई है।


मंगलवार को वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं और विदेशी पूंजी निकासी के कारण शेयर बाजार में गिरावट आई। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में चार पैसे की गिरावट आई, जो 88.79 (अनंतिम) के निम्न स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और कमजोर डॉलर के कारण रुपये में अधिक गिरावट नहीं आई।