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इंडस वॉटर ट्रीटी पर अनिल त्रिगुणायत का महत्वपूर्ण बयान

पूर्व राजनीतिक अनिल त्रिगुणायत ने इंडस वॉटर ट्रीटी पर पाकिस्तान के साथ बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में हुए समझौते के अनुसार, दोनों देशों को बदलती परिस्थितियों पर चर्चा करनी चाहिए। त्रिगुणायत ने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान पुरानी स्थिति पर अड़ा रहा, तो समस्या का समाधान मुश्किल होगा। जानें उनके विचार और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर उनकी राय।
 

इंडस वॉटर ट्रीटी पर चर्चा

पूर्व राजनीतिक अनिल त्रिगुणायत ने इंडस वॉटर ट्रीटी के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जब यह समझौता 1960 के दशक में हुआ था, तब यह तय किया गया था कि यदि परिस्थितियों में कोई बदलाव आता है, तो दोनों देश आपस में चर्चा करेंगे और सहयोग करेंगे। हालांकि, त्रिगुणायत का कहना है कि भारत लंबे समय से यह दावा कर रहा है कि हालात बदल चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान इस वास्तविकता को स्वीकार नहीं कर रहा है।



उन्होंने आगे कहा कि उस समय समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच पानी के मुद्दे पर स्थिरता और सुलह लाना था। लेकिन समय के साथ परिस्थितियाँ बदल गई हैं, जनसंख्या बढ़ी है, आवश्यकताएँ भी बढ़ी हैं और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी स्पष्ट है। ऐसे में बातचीत और समझौता आवश्यक है। त्रिगुणायत ने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान पुरानी स्थिति पर अड़ा रहेगा और नए हालात को मानने से इनकार करेगा, तो समस्या का समाधान कठिन हो जाएगा।


पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विवाद बढ़ने से दोनों देशों को नुकसान होगा। इसलिए पाकिस्तान को जमीनी हकीकत को समझना चाहिए और बातचीत की मेज पर आना चाहिए। पूर्व राजनयिक ने कहा कि भारत हमेशा से बातचीत और सहयोग के पक्ष में रहा है। हमारा केवल यह कहना है कि हालात बदल चुके हैं और इन परिवर्तित परिस्थितियों में नई रणनीति और समझौते की आवश्यकता है।