इंडिया ब्लॉक की स्थिति: चुनावी गठबंधन की चुनौतियाँ
इंडिया ब्लॉक की नई चर्चाएँ
विपक्षी गठबंधन, जिसे 'इंडिया' ब्लॉक के नाम से जाना जाता है, के भविष्य पर नई बहस शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव के बाद से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह गठबंधन अब भी सक्रिय है या समाप्त हो चुका है। कई नेताओं का मानना है कि यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था। राज्यों में अलग-अलग गठबंधनों की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है, और राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की चर्चा फिर से चुनावों से पहले होगी। लेकिन राज्यों में प्रादेशिक पार्टियों और कांग्रेस के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का राष्ट्रीय जनता दल के प्रति रवैया असहजता पैदा कर रहा है, जिससे भाजपा के नेता उनके बीच और फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं.
भाजपा की रणनीतियाँ और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्यवाणी की है कि कांग्रेस में एक और बड़ा विभाजन होगा। भले ही यह एक मानसिक खेल हो, कांग्रेस सतर्क है और प्रादेशिक पार्टियाँ इस पर ध्यान दे रही हैं। बिहार भाजपा के नेता अजय आलोक ने हेमंत सोरेन के बारे में एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि 'हेमंत जीवंत होंगे', जिसका अर्थ स्पष्ट नहीं था। हालांकि, हेमंत सोरेन की पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत जीवंत हैं और भाजपा का अंत होगा। यह स्पष्ट है कि हेमंत सोरेन अब कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन झारखंड में कांग्रेस और राजद के बीच दूरी बढ़ रही है।
राजनीतिक समीकरण और चुनावी रणनीतियाँ
बिहार में कांग्रेस और राजद ने चुनाव में एक इंच भी पीछे हटने का मन नहीं बनाया, भले ही उन्होंने चुनाव हार गए हों। चुनाव की घोषणा से पहले हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की रैली में भाग लिया और बाद में सीट बंटवारे पर बातचीत के लिए अपने नेता भेजे। लेकिन राजद और कांग्रेस दो सीटें भी छोड़ने को तैयार नहीं थे। इसके बाद जेएमएम ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया, लेकिन हेमंत सोरेन ने बाद में बड़ा दिल दिखाते हुए पीछे हटने का निर्णय लिया। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें नतीजों का अंदाजा था, इसलिए उन्होंने ऐसा किया।
महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की स्थिति
महाराष्ट्र में कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना से अलग लड़ने की योजना बना रही है। कांग्रेस को इस बात पर आपत्ति है कि उद्धव ने राज ठाकरे के साथ तालमेल किया है। उद्धव ठाकरे कांग्रेस को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है। अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाला सेकुलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) शामिल हैं।
कांग्रेस की सीटों की मांग
तमिलनाडु में कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है। पिछली बार वह 25 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी नौ सीटें जीतने के बाद अब कांग्रेस के नेता ज्यादा सीटें चाहते हैं। पश्चिम बंगाल और असम में तालमेल की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। असम में कांग्रेस सात छोटी पार्टियों के साथ तालमेल कर रही है, लेकिन दो बड़ी सहयोगी पार्टियाँ एआईयूडीएफ और बीपीएफ अलग हो गई हैं। बंगाल में ममता बनर्जी तालमेल के लिए तैयार नहीं हैं।