इटली में समलैंगिक जोड़ों को पितृत्व अवकाश का अधिकार मिला
इटली की अदालत का ऐतिहासिक निर्णय
इटली की उच्चतम संवैधानिक अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें समलैंगिक महिला जोड़ों की गैर-जैविक मां को भी पितृत्व अवकाश देने का अधिकार दिया गया है। अदालत ने इसे बच्चों के सर्वोत्तम हित और समान पालन-पोषण के अधिकार के रूप में मान्यता दी है। इस फैसले से LGBTQ+ समुदाय को कानूनी मान्यता और समान अधिकारों की दिशा में एक बड़ी राहत मिली है।
पितृत्व अवकाश का उद्देश्य
अदालत ने स्पष्ट किया कि माता-पिता की जिम्मेदारियां किसी के यौन रुझान पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। पितृत्व अवकाश का मुख्य उद्देश्य नवजात बच्चे के साथ जुड़ाव और देखभाल करना है, जो किसी एक माता या पिता तक सीमित नहीं होना चाहिए। 2001 का कानून, जो केवल जैविक पिता को यह अधिकार देता था, अब असंवैधानिक करार दिया गया है। अदालत ने कहा कि जो गैर-जैविक मां बच्चे की परवरिश में समान रूप से भाग ले रही है, उसे भी यह अधिकार मिलना चाहिए।
सरकार की पारंपरिक नीतियों को चुनौती
यह निर्णय उस समय आया है जब इटली की दक्षिणपंथी सरकार पारंपरिक परिवार के मॉडल को बढ़ावा देने और सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने 2023 में एक ऐसा कानून पारित किया था, जिसमें विदेश में सरोगेसी कराने पर सजा का प्रावधान है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि चाहे जोड़े IVF के लिए विदेश क्यों न गए हों, बच्चों को समान अधिकार देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
फैसले पर प्रतिक्रियाएँ
यह निर्णय LGBTQ+ समुदाय के लिए एक बड़ी जीत है, लेकिन देश में इसके प्रति विभिन्न प्रतिक्रियाएँ भी देखने को मिल रही हैं। सांसद और LGBTQ+ एक्टिविस्ट एलेसेंड्रो ज़ान ने इसे "अन्याय और भेदभाव के अंत की दिशा में ऐतिहासिक कदम" बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "प्यार ही परिवार है, और हर बच्चे को दोनों माता-पिता से देखभाल और सुरक्षा पाने का अधिकार है।"
हालांकि, 'प्रो-लाइफ एंड फैमिली' जैसे रूढ़िवादी संगठनों ने इसे "न्याय व्यवस्था पर लैंगिक पागलपन का प्रभाव" करार दिया और फैसले का मज़ाक उड़ाया।