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इमरान मसूद का बयान: प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री बनाना होगा एक मजबूत कदम

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के संदर्भ में प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रभावी ढंग से जवाब दे सकती हैं। प्रियंका ने भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर इमरान मसूद की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाया जाए, तो वह अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रभावी ढंग से जवाब दे सकती हैं।

इमरान मसूद ने सवाल उठाया कि क्या प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री हैं? उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहिए और देखना चाहिए कि वह इंदिरा गांधी की तरह कैसे प्रतिक्रिया देंगी। प्रियंका गांधी का नाम गांधी के साथ जुड़ा हुआ है, और वह इंदिरा गांधी की पोती हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को गंभीर नुकसान पहुंचाया था।

प्रियंका गांधी की चिंता

हाल ही में प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दीपू चंद्र दास की हत्या की खबर अत्यंत चिंताजनक है। किसी भी सभ्य समाज में धर्म, जाति या पहचान के आधार पर भेदभाव और हिंसा मानवता के खिलाफ अपराध हैं।

इमरान मसूद का समर्थन

इमरान मसूद ने भारत सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर ध्यान दे और बांग्लादेश सरकार के साथ उनकी सुरक्षा के मुद्दे को मजबूती से उठाए।

इस बीच, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने एक पोस्ट में बताया कि बांग्लादेश के रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने मैमनसिंह के भालुका में एक हिंदू युवक की लिंचिंग के मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पीड़ित, दीपू चंद्र दास (27), एक गारमेंट वर्कर और सनातन धर्म का अनुयायी था, जिसे 18 दिसंबर को पीट-पीटकर मार डाला गया था।

पुलिस के अनुसार, यह हत्या कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोपों के कारण हुई थी। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद, जो देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक संगठन है, ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है और इसे सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा बताया है।