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ईडी द्वारा अरविंद दातार को नोटिस: वकीलों का विरोध और चुपचाप वापसी

केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अरविंद दातार को नोटिस भेजा, जिससे वकीलों के संगठनों में हड़कंप मच गया। इस कदम का विरोध करते हुए वकीलों ने इसे न्यायपालिका पर दबाव डालने का प्रयास बताया। जैसे ही विरोध बढ़ा, ईडी ने चुपचाप नोटिस वापस ले लिया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह गलती से भेजा गया था। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

ईडी का नोटिस और वकीलों का विरोध

केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकील अरविंद दातार को नोटिस जारी किया, जो एक चौंकाने वाली घटना थी। दातार, जो सुप्रीम कोर्ट के सबसे सम्मानित वकीलों में से एक माने जाते हैं, के खिलाफ इस नोटिस के आने पर वकीलों के संगठनों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने केंद्र सरकार और ईडी पर हमला किया, जबकि अन्य संगठनों ने भी इस कदम का विरोध किया। जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, ईडी ने चुपचाप नोटिस वापस ले लिया, जिससे यह धारणा बनी कि शायद यह गलती से भेजा गया था।


यह सवाल उठता है कि क्या किसी प्रमुख वकील को गलती से नोटिस भेजा जा सकता है, खासकर जब यह उनके किसी क्लाइंट की जांच से संबंधित हो? यह संभवतः पहली बार है जब किसी क्लाइंट की जांच के सिलसिले में उसके वकील को नोटिस जारी किया गया। आमतौर पर भ्रष्टाचार के मामलों में चार्टर्ड अकाउंटेंट को बुलाया जाता है, लेकिन वकील को नोटिस भेजना एक नई परंपरा है। वकीलों ने इस पर विरोध जताते हुए कहा कि यह न्यायपालिका पर दबाव डालने का प्रयास है। यह भी संभव है कि नोटिस का उद्देश्य बार और बेंच दोनों को एक संदेश देना था। नोटिस वापस लेने से भी यह संदेश स्पष्ट हो जाता है। इस बीच, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच चल रहे शह मात के खेल ने स्थिति को और दिलचस्प बना दिया है।