उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री एके शर्मा ने उठाया निजीकरण के खिलाफ मोर्चा
एके शर्मा का राजनीतिक सफर
उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री एके शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी सहयोगी माना जाता है। वे पहले गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय में नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके हैं। अचानक उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया, जहां उन्होंने विधान परिषद के माध्यम से सदन में प्रवेश किया और मंत्री पद ग्रहण किया। यह माना जाता है कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए एक निगरानी के रूप में भेजे गए थे। हालांकि, वे कभी भी मुख्यमंत्री के लिए एक चुनौती नहीं बन पाए।
बिजली विभाग का निजीकरण और विवाद
हाल ही में, उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है, जिसके खिलाफ बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ विपक्ष और भाजपा समर्थकों का एक बड़ा वर्ग भी विरोध कर रहा है। एके शर्मा ने अपने ऑफिस के आधिकारिक एक्स हैंडल से स्पष्ट किया है कि निजीकरण का निर्णय केवल बिजली मंत्री का नहीं है, बल्कि यह सरकार का निर्णय है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले टास्क फोर्स और राज्य सरकार की सहमति से लिया गया है।
शर्मा का बयान और आरोप
शर्मा ने यह भी कहा कि यदि वे एक जूनियर इंजीनियर का तबादला नहीं कर सकते हैं, तो निजीकरण का निर्णय कैसे ले सकते हैं। उन्होंने बिजली की खराब व्यवस्था के लिए यह आरोप लगाया कि यह उन्हें बदनाम करने की एक साजिश है, जिसमें बिजली विभाग के कुछ लोग शामिल हैं।