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उत्तर प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, कानून व्यवस्था पर संकट

उत्तर प्रदेश में हाल की घटनाओं ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोरखपुर में छात्र दीपक गुप्ता की हत्या और भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत ने कानून व्यवस्था को चुनौती दी है। विपक्षी दल सरकार को घेरने में जुटे हैं, जबकि पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। क्या पुलिस अपने रवैये में सुधार करेगी? जानिए इस मुद्दे पर पूरी जानकारी।
 

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर निरंतर चर्चा होती रहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस स्थिति को सुधारने के लिए लगातार निर्देश दे रहे हैं। फिर भी, कुछ पुलिसकर्मी और अधिकारी उनकी बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है। विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे हैं। हाल ही में गोरखपुर और गाजीपुर में हुई छात्र की हत्या और सियाराम उपाध्याय की मौत इस स्थिति को दर्शाती है।


गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र में पशु तस्करों ने छात्र दीपक गुप्ता की बेरहमी से हत्या कर दी। तस्करों ने उसे जबरन डीसीएम में बैठाया और उसकी पिटाई की। परिजनों का आरोप है कि उसे गोली मारी गई। इस घटना पर स्थानीय लोगों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि पुलिस अब एक अलग कहानी पेश करने की कोशिश कर रही है। इस घटना ने कानून व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।


यह पहली बार नहीं है जब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। हाल ही में गाजीपुर में भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की पुलिस लाठीचार्ज में मौत हो गई थी, जिसके बाद पुलिस के रवैये पर सवाल उठे थे। परिजनों ने कार्रवाई की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप थानाध्यक्ष समेत कई लोग निलंबित हुए। लेकिन सवाल यह है कि पुलिस का यह व्यवहार क्यों जारी है, जिससे सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है।


एक और घटना हमीरपुर की है, जहां जेल में बंद अनिल द्विवेदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अनिल पर पहले से एक विवाद के चलते मामला दर्ज था और हाल ही में उसे गिरफ्तार किया गया था। जेल में उसकी मौत ने फिर से पुलिस और जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


इन घटनाओं के बाद यह सवाल उठता है कि पुलिस अपने रवैये में सुधार कब करेगी, जबकि सरकार लगातार दिशा-निर्देश दे रही है। दीपक गुप्ता, सियाराम उपाध्याय और अनिल द्विवेदी की मौतों के बाद पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। यह स्थिति बेगुनाहों की मौत पर उठ रहे सवालों के कारण सरकार की फजीहत कर रही है।