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उद्धव और राज ठाकरे का एक मंच पर आना: क्या है इसके पीछे की राजनीति?

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मुंबई में एक मंच पर आकर हिंदी थोपने की केंद्र की नीति का विरोध किया। यह सभा न केवल भावनात्मक थी, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ठाकरे बंधुओं ने इसे एक बड़ी साजिश करार दिया, जो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश कर रही है। जानें इस संघर्ष के पीछे की राजनीति और ठाकरे बंधुओं के विचार।
 

उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक मंचन

Uddhav Thackeray Raj Thackeray: मुंबई में मराठी पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण में, शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे दो दशकों बाद एक ही मंच पर उपस्थित हुए। यह आयोजन न केवल भावनात्मक था, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों ठाकरे बंधुओं ने केंद्र की हिंदी थोपने की नीति का विरोध किया और संकेत दिए कि भविष्य में उनके दल एकजुट हो सकते हैं।


हिंदी थोपने का उद्देश्य: राज ठाकरे का बयान

राज ठाकरे ने अपने भाषण में कहा कि तीन-भाषा नीति शिक्षा में सुधार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रयोग है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का उद्देश्य यह देखना था कि क्या इस बहाने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग किया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी, "अगर हिंदी थोपने की कोशिश सफल होती, तो अगला कदम मुंबई को अलग करना होता। लेकिन अब यह प्रयास विफल हो गया है।"


भाषा का मुद्दा नहीं, सत्ता का नियंत्रण: राज ठाकरे

राज ठाकरे ने कहा, "यह केवल भाषा का मुद्दा नहीं है, बल्कि सत्ता और नियंत्रण का है। बीजेपी को लगता है कि अगर वे मराठी को कमजोर कर दें, तो मुंबई को अलग करना आसान होगा। लेकिन हमने इस साजिश को नाकाम कर दिया है।"


NEP में हिंदी अनिवार्य नहीं: राज ठाकरे

उन्होंने कहा कि तीन-भाषा नीति केवल केंद्र और राज्य के बीच तालमेल के लिए थी, न कि इसे अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए। राज ठाकरे ने कहा, "NEP में हिंदी थोपने का कोई उल्लेख नहीं है। यह प्रयोग महाराष्ट्र में इसलिए किया गया क्योंकि दक्षिण के राज्य उनकी बात नहीं सुनते।"


हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े: राज ठाकरे

राज ठाकरे ने कहा, "हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, जबकि गैर-हिंदी राज्य आगे हैं। फिर भी हमें हिंदी सिखाने की कोशिश की जा रही है। मैं हिंदी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जबरदस्ती नहीं चलेगी।"


मराठी का सम्मान: उद्धव ठाकरे का दृष्टिकोण

बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं ने ठाकरे बंधुओं के बच्चों की अंग्रेजी-माध्यम में पढ़ाई पर सवाल उठाए, जिस पर राज ने स्पष्ट किया कि "भाषा से नहीं, भावना से मराठी प्रेम आता है।" उन्होंने चेतावनी दी कि "यह संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।"


विचारधारा की लड़ाई: उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह गठबंधन केवल राजनीति नहीं, बल्कि विचार और भाषा की रक्षा का संग्राम है। उन्होंने कहा, "यह केवल साथ आना नहीं है, बल्कि साथ रहने की घोषणा है।"