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उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक गठबंधन, बीएमसी चुनाव में नई रणनीति

महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जब उद्धव और राज ठाकरे ने अपने 20 साल पुराने मतभेदों को भुलाकर बीएमसी चुनाव में एक साथ लड़ने का निर्णय लिया। हालिया निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत ने उन्हें एकजुट होने के लिए मजबूर किया। इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा आज की जाएगी। जानें इस नई राजनीतिक रणनीति के पीछे की कहानी और चुनाव की महत्वपूर्ण तिथियाँ।
 

महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में हुए 288 नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के परिणामों ने 'ठाकरे ब्रांड' को एक बड़ा झटका दिया है। इन नतीजों से सीख लेते हुए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए 20 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाने का निर्णय लिया है। खबरों के अनुसार, दोनों भाइयों ने बीएमसी सहित राज्य के 29 नगर निगमों के चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है। इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा आज (मंगलवार) वर्ली के एनएससीआई डोम में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जा सकती है।


बीजेपी की जीत ने बढ़ाई चुनौती

बीजेपी की आंधी ने किया मजबूर
हालिया निकाय चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति ने 70 प्रतिशत से अधिक सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि उद्धव की शिवसेना सिंगल डिजिट में सिमट गई और राज ठाकरे की मनसे का खाता भी नहीं खुला। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी की जोड़ी ने उद्धव ठाकरे के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। इसी चुनौती का सामना करने के लिए दोनों भाई एकजुट हुए हैं। सोमवार की शाम मनसे नेता बाला नांदगांवकर और नितिन सरदेसाई ने 'मातोश्री' जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और गठबंधन के फॉर्मूले को अंतिम रूप दिया।


सीट बंटवारे की योजना

सीट शेयरिंग का गणित और चुनाव की तारीखें
सूत्रों के अनुसार, बीएमसी की कुल 227 सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है। इसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि राज ठाकरे की मनसे को 60 से 70 सीटें दी जा सकती हैं। शेष सीटें अन्य छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ी जाएंगी। चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। मंगलवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है, जो 30 दिसंबर तक चलेगी। राज्य की सभी 29 महानगर पालिकाओं के लिए मतदान 15 जनवरी को होगा और नतीजे 16 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।


कांग्रेस की स्थिति पर नजर

कांग्रेस को साधने की चुनौती
इस नए गठबंधन के बीच महा विकास आघाड़ी में कांग्रेस की स्थिति को संभालना सबसे बड़ी चुनौती है। मनसे की उत्तर भारतीय विरोधी छवि के कारण कांग्रेस राज ठाकरे के साथ मंच साझा करने से इनकार करती रही है। इस स्थिति में संजय राउत लगातार राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान के संपर्क में हैं ताकि विपक्षी एकता बनी रहे और बीजेपी के खिलाफ सीधा मुकाबला किया जा सके।


मुंबई की राजनीति में महत्वपूर्ण चुनाव

मुंबई के किले पर कब्जे की लड़ाई
यह चुनाव केवल एक निकाय चुनाव नहीं है, बल्कि ठाकरे परिवार की विरासत को बचाने की अंतिम लड़ाई है। मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर पिछले 30 वर्षों से ठाकरे परिवार का कब्जा रहा है और यह उनकी ताकत का मुख्य केंद्र है। बीएमसी का बजट कई छोटे राज्यों के बजट से भी अधिक है, जो पार्टी को जमीनी स्तर पर चलाने में मदद करता है। बीजेपी और एकनाथ शिंदे की नजर अब इसी 'सोने की चिड़िया' पर है। उन्होंने बीएमसी की 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। अब देखना होगा कि 'ठाकरे ब्रदर्स' का यह रीयूनियन मुंबई में उनकी पकड़ बनाए रख पाता है या नहीं।