उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक पुनर्मिलन: क्या है इसके पीछे की राजनीति?
उद्धव और राज ठाकरे का पुनर्मिलन
Uddhav Thackeray Raj Thackeray Reunite: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने शनिवार को दो दशकों की दूरी को समाप्त करते हुए एक मंच पर वापसी की है। मराठी पहचान के मुद्दे पर एकजुट होकर, इन दोनों चचेरे भाइयों ने स्पष्ट किया है कि अब उनकी लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि पहचान और स्वाभिमान की भी है।
राजनीतिक एकता का प्रयास
मुंबई के वर्ली में नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया में होने वाली ठाकरे रैली से पहले, शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बैनर शहर में दिखाई देने लगे हैं। एक वायरल वीडियो में शेर को जंगली कुत्तों को खदेड़ते हुए दिखाया गया, जो यह दर्शाता है कि ठाकरे बंधु वापसी के मूड में हैं।
मराठी मानुष की एकता का संदेश
इस रैली में जानबूझकर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के नाम, प्रतीक या झंडों का उपयोग नहीं किया गया। इसका उद्देश्य राजनीतिक प्रतिस्पर्धा से बचना और 'मराठी मानुष' को जाति, धर्म और दलगत पहचान से ऊपर उठाकर एकजुट करना बताया गया है।
क्या यह एक स्थायी गठबंधन बनेगा?
यह स्पष्ट नहीं है कि ठाकरे बंधुओं की यह नजदीकी केवल मराठी मुद्दों तक सीमित रहेगी या आगामी निकाय चुनावों में, विशेषकर मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में, यह एक औपचारिक राजनीतिक गठबंधन में परिवर्तित होगी।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मराठी गर्व रखना गलत नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी को जबरन मराठी बोलने पर मजबूर किया जाए।"
ठाकरे बंधुओं का इतिहास
2003 में जब बाल ठाकरे ने उद्धव को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, तब राज ठाकरे ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और 2006 में मनसे का गठन किया। तब से दोनों पार्टियां एक ही मराठी वोट बैंक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही थीं।
BMC चुनाव की तैयारी
बीजेपी को एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में ठाकरे बंधुओं के लिए BMC चुनाव एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गया है।
राज ठाकरे का बयान
राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा, "हमारा साथ आना मुश्किल नहीं है। हमारे मतभेद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के कल्याण में बाधा बन रहे थे।" उद्धव ने भी कहा कि वे छोटे-मोटे मतभेदों को दरकिनार कर एकता के लिए तैयार हैं।
क्या मराठी वोट बैंक काम आएगा?
मुंबई में मराठी वोट बैंक 30 से 35 प्रतिशत माना जाता है। यदि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे की एकता मजबूत होती है, तो यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
चुनौतियाँ
उद्धव और राज ने पिछले वर्षों में अन्य वर्गों को साधने की कोशिश की, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। अब चुनौती यह है कि वे साबित करें कि 'मराठी मानुष' अब भी वंचित हैं और उन्हें एक मजबूत आवाज की आवश्यकता है।