उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक पुनर्मिलन: महाराष्ट्र की राजनीति में नई दिशा
उद्धव और राज ठाकरे का ऐतिहासिक पुनर्मिलन
उद्धव और राज ठाकरे का पुनर्मिलन: महाराष्ट्र की राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे एक मंच पर उपस्थित हुए। यह केवल एक पारिवारिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि इसे महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह पुनर्मिलन उस समय हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने तीसरी वैकल्पिक भाषा के रूप में हिंदी को हटाने का निर्णय लिया, जिसे 'मराठी एकता' की जीत के रूप में मनाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 'आवाज मराठिचा' नामक इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम एक साथ आए हैं और एकजुट रहने के लिए आए हैं... यह मराठी भाषा की रक्षा और सम्मान के लिए हमारी एकजुटता है। आज का यह मिलन केवल एक ट्रेलर है, अभी बहुत कुछ बाकी है।”
उद्धव ने चुनावी रणनीति का संकेत दिया
उद्धव ने चुनावी रणनीति का संकेत दिया
उद्धव ने यह भी संकेत दिया कि यह मिलन केवल भावनात्मक पहल नहीं है, बल्कि आगामी चुनावों की रणनीति का हिस्सा भी है। उन्होंने कहा, "मुंबई सहित महाराष्ट्र की 29 महानगरपालिकाओं में होने वाले चुनावों में हम एक साथ जीत हासिल करेंगे और सत्ता पर काबिज होंगे।"
राज ठाकरे का भावुक बयान
राज ठाकरे का भावुक बयान
इस अवसर पर राज ठाकरे ने भावुकता से कहा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वह कर दिखाया जो हमारे पूज्य बाला साहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए, उन्होंने मुझे और उद्धव को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।” यह कार्यक्रम वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में मराठी प्रेमी, साहित्यकार, कवि और दोनों दलों के समर्थक उपस्थित थे। यह सभा मराठी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में देखी जा रही है।
राजनीति में नई धुरी का निर्माण
राजनीति में नई धुरी का निर्माण
यह मराठी भाषियों की लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम माना जा रहा है। शिवसेना और एमएनएस का एकजुट होकर प्रदर्शन राज्य की राजनीति में एक नई धुरी के निर्माण की ओर इशारा करता है। अब सभी की नजरें इस गठबंधन के भविष्य पर टिकी हैं, जो मराठी अस्मिता के नाम पर बना है और आगामी चुनावों में इसका प्रभाव निश्चित रूप से देखा जाएगा।