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उद्धव ठाकरे ने हिंदी भाषा पर अपने विचार साझा किए

शिवसेना-यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हिंदी भाषा के प्रति अपने विचार स्पष्ट करते हुए कहा कि वह जबरन भाषा थोपने का विरोध करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। ठाकरे ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे पर भी सवाल उठाए। जानें उनके बयान का पूरा विवरण और इसके पीछे की राजनीति।
 

उद्धव ठाकरे का हिंदी भाषा पर रुख

मुंबई – शिवसेना-यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने हिंदी भाषा के प्रति अपने विचार स्पष्ट किए हैं। एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भाषा या देश से कोई विरोध नहीं है, लेकिन जबरन किसी भाषा को थोपने का वह विरोध करते हैं।


उद्धव ठाकरे ने कहा, "जब मैं दिल्ली गया था, तो मुझसे पूछा गया कि आप हिंदी का विरोध क्यों करते हैं? मैंने उत्तर दिया कि अगर आप प्यार से बात करेंगे तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन जबरदस्ती नहीं चलेगी।" उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "एक हिंदी पत्रकार ने मुझसे सवाल किया और मैंने उसी भाषा में जवाब दिया। मैंने कहा, 'क्या तुम्हें मेरी हिंदी समझ में आ रही है?' मुझे हिंदी आती है, और मैं उतनी हिंदी बोल लेता हूं जितनी आवश्यक है।"


उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा, "आज जो 'महाविकास गाड़ी' और 'इंडिया गाड़ी' को भ्रष्टाचार से जोड़ा जा रहा है, वही भ्रष्टाचार आज ये लोग खुद बढ़ावा दे रहे हैं। जब प्रधानमंत्री महाराष्ट्र आते हैं, तो उनके चारों ओर जो लोग होते हैं, वो कोई 'कुंभ मेला' नहीं, बल्कि 'दंभ मेला' होता है।"


उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, "आदर्श घोटाले से लेकर 70 हजार करोड़ के घोटाले तक के आरोप पहले खुद प्रधानमंत्री ने लगाए थे, तो अब वही लोग मंत्री कैसे बन गए? भ्रष्टाचारियों को आप खुद बढ़ावा दे रहे हैं।" उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें भाजपा सरकार में पद दिया जा रहा है।


इस दौरान, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे पर भी ठाकरे ने केंद्र सरकार की नीति पर सवाल उठाए और कहा, "आप शेख हसीना को भारत बुलाते हैं, जबकि बांग्लादेश का विरोध करते हैं। ये दोहरी नीति क्यों?"