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उप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों की चर्चा तेज, एनडीए और विपक्ष की रणनीतियाँ

उप राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले एनडीए और विपक्षी गठबंधन की रणनीतियों पर चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री के निर्णय पर निर्भर करते हुए एनडीए का उम्मीदवार तय होगा। वहीं, विपक्षी गठबंधन को सहमति बनाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। कांग्रेस अपने नेता को चुनाव में उतारने की कोशिश कर रही है, जबकि ममता बनर्जी पूर्वी भारत से उम्मीदवार बनाने का दबाव बना रही हैं। जानें इस चुनावी प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी।
 

उप राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की तैयारी

उप राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा जोरों पर है। सत्ताधारी गठबंधन एनडीए की ओर से उम्मीदवार का चयन अपेक्षाकृत सरल प्रतीत होता है, क्योंकि यह निर्णय मुख्यतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के हाथों में होगा। यह तय करना होगा कि उम्मीदवार भाजपा का होगा या किसी सहयोगी पार्टी का, और यह भी कि वह किसी चुनावी राज्य से होगा या अन्य स्थान से। इस प्रक्रिया में किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका नहीं होगी। यह विचार करना निरर्थक है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से कोई नाम सुझाया जाएगा, क्योंकि यदि उनकी बात नहीं मानी गई, तो संघ के करीबी सांसद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। यह सोशल मीडिया पर चलने वाले उन चर्चाओं का हिस्सा है, जो मोदी और संघ के बीच विवाद को बढ़ावा देती हैं।


विपक्षी गठबंधन की चुनौतियाँ

हालांकि एनडीए में उम्मीदवार चयन में ज्यादा मेहनत की आवश्यकता नहीं होगी, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को सहमति बनाने के लिए काफी प्रयास करने होंगे। सूत्रों के अनुसार, इस संदर्भ में प्रारंभिक बातचीत हो चुकी है। यह लगभग निश्चित है कि विपक्षी गठबंधन चुनाव में भाग लेगा, जिसका अर्थ है कि उप राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध नहीं होगा। विपक्ष की ओर से उम्मीदवार का चयन कई संभावनाओं पर निर्भर करेगा। जानकारों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष अपना प्रत्याशी तय करेगा। यदि सहमति बन जाती है, तो यह तय करना होगा कि उम्मीदवार किस पार्टी का होगा या फिर कोई अराजनीतिक व्यक्ति होगा, जैसा कि पहले गोपाल गांधी के मामले में हुआ था।


कांग्रेस की स्थिति और संभावनाएँ

कांग्रेस चाहती है कि उसके किसी नेता को चुनाव में उतारा जाए। पिछले दो चुनावों में कांग्रेस ने अपनी ताकत नहीं दिखाई थी, क्योंकि तब वह कमजोर स्थिति में थी। पहले उसके पास लोकसभा में केवल 44 और फिर 52 सांसद थे। लेकिन इस बार कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है, और उसके पास एक सौ सांसद हैं। इसलिए वह विपक्षी गठबंधन की धुरी बन गई है। इसीलिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस का कोई नेता उम्मीदवार हो सकता है। हालांकि, ममता बनर्जी की ओर से यह दबाव रहेगा कि पूर्वी भारत, विशेषकर पश्चिम बंगाल से किसी को उम्मीदवार बनाया जाए। यदि कोई बांग्लाभाषी प्रत्याशी होगा, तो इसका प्रभाव पश्चिम बंगाल और असम दोनों पर पड़ेगा। दूसरी ओर, कांग्रेस दक्षिण भारत के दो राज्यों में सरकार में है, और अगले साल तमिलनाडु और केरल के चुनाव होने हैं, इसलिए दक्षिण भारत के किसी नेता को उम्मीदवार बनाने की संभावना भी है। यदि दक्षिण भारत का प्रत्याशी होगा, तो भाजपा के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के लिए इसका विरोध करना कठिन होगा।


उम्मीदवार का चयन और नामांकन की प्रक्रिया

हालांकि उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार का चयन तुरंत नहीं होगा, विपक्षी पार्टियाँ एनडीए द्वारा उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार करेंगी। नामांकन प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू हो जाएगी, लेकिन दोनों पक्षों के उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा 15 अगस्त के बाद ही होगी।