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उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: भाजपा और कांग्रेस की तैयारी

भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया अन्य चुनावों से भिन्न है, जिसमें प्राथमिकता अंकित करने का विशेष महत्व है। भाजपा और कांग्रेस अपने सांसदों को इस प्रक्रिया में किसी भी चूक से बचाने के लिए विशेष कार्यशालाएँ आयोजित कर रहे हैं। जानें कि कैसे ये दल अपने सांसदों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और क्यों हर वोट की वैधता महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में केवल दो उम्मीदवार हैं, जिससे हर वोट का नतीजों पर सीधा असर पड़ेगा।
 

भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव की अनोखी प्रक्रिया

भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव अन्य चुनावों से एकदम अलग तरीके से होता है। इसमें सभी वोटों की वैल्यू समान होती है, लेकिन प्राथमिकता अंकित करने की प्रक्रिया इसे विशेष बनाती है। यदि कोई गलती होती है, तो वोट अमान्य हो सकता है, इसलिए राजनीतिक दल अपने सांसदों को इस प्रक्रिया में किसी भी चूक से बचाने के लिए पहले से तैयार कर रहे हैं।


भाजपा और कांग्रेस की तैयारी

भाजपा ने अपने सांसदों को मतदान प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने के लिए तीन दिन की विशेष कार्यशाला आयोजित की है, जिसमें पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। इस कार्यशाला का उद्देश्य नए सांसदों को बैलेट पेपर पर प्राथमिकता सही तरीके से अंकित करने की विधि सिखाना है। वहीं, कांग्रेस ने विपक्षी सांसदों के लिए सोमवार को एक मॉक पोल का आयोजन किया ताकि वे वोटिंग की तकनीकी प्रक्रिया को समझ सकें। दोनों दल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी वोट अमान्य न हो।


चुनाव की प्रक्रिया और नियम

चुनाव की प्रक्रिया और नियम


उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन आयोग विशेष गुलाबी रंग के बैलेट पेपर का उपयोग करता है, जिसमें दो कॉलम होते हैं: पहले में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे में मतदाता द्वारा दी जाने वाली प्राथमिकता। पहली प्राथमिकता अंकित करना अनिवार्य है, जबकि अन्य प्राथमिकताएं वैकल्पिक होती हैं। मतदाता संख्या को भारतीय अंकों, रोमन अंकों या किसी भारतीय भाषा में दर्ज कर सकता है, लेकिन शब्दों में जैसे 'वन', 'टू' या 'फर्स्ट प्रेफरेंस' नहीं लिख सकता।


क्यों अहम है ट्रेनिंग?

क्यों अहम है ट्रेनिंग?


पार्लियामेंट और विधानसभा चुनावों के विपरीत, उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते समय सांसद किसी साथी की मदद नहीं ले सकते। केवल प्रेजाइडिंग ऑफिसर से सीमित सहायता मिल सकती है। इसलिए ट्रेनिंग आवश्यक है ताकि पहली प्राथमिकता अंकित करने में कोई गलती न हो। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल जानते हैं कि यदि सांसदों से वोटिंग में गड़बड़ी हुई तो नतीजों पर असर पड़ सकता है।


अमान्य वोटों की आशंका

अमान्य वोटों की आशंका


निर्वाचन अधिकारी बैलेट पेपर को अमान्य कर सकता है, यदि पहली प्राथमिकता अंकित नहीं की गई हो या एक से अधिक उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता दी गई हो। इसके अलावा, यदि बैलेट पर ऐसा कोई निशान हो जिससे मतदाता की पहचान उजागर होती हो, तो भी वोट निरस्त हो सकता है। 2022 में जगदीप धनखड़ के चुनाव के दौरान 15 वोट अमान्य हुए थे। 2017 में वेंकैया नायडू के चुनाव में 11 वोट अमान्य हुए थे। इन उदाहरणों ने इस बार पार्टियों को और सतर्क कर दिया है।


हर वोट की कीमत

हर वोट की कीमत


इस बार केवल दो उम्मीदवार हैं, एनडीए के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के सुदर्शन रेड्डी। ऐसे में हर वैध वोट का नतीजों पर सीधा असर पड़ेगा। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने सांसदों को गाइड करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।


यह स्पष्ट है कि गलती से अमान्य हुए वोट न केवल सांसद की लापरवाही को उजागर करेंगे बल्कि पार्टी की साख पर भी सवाल खड़ा करेंगे। इसलिए इस बार दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि 9 सितंबर को गुलाबी बैलेट पेपर पर दर्ज हर निशान पूरी तरह वैध हो।