उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएँ
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे देशभर में चर्चा का माहौल बन गया है। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने उनके इस्तीफे पर सवाल उठाए हैं।
पप्पू यादव की प्रतिक्रिया
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने एक समाचार मीडिया से बातचीत में कहा कि भाजपा के नेतृत्व को न तो संविधान की परवाह है, न लोकतंत्र की और न ही स्वतंत्रता की। उन्होंने यह भी कहा कि जब धनखड़ ने निष्पक्षता और सच्चाई का रास्ता अपनाया, तब वे भाजपा को पसंद नहीं आए।
राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा
यादव ने यह भी कहा कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा है। उनका इस्तीफा सत्र के पहले दिन देना इस बात का संकेत है कि कुछ बड़ा चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ जाट समुदाय से हैं और उनकी स्वाभिमानी प्रवृत्ति भाजपा नेतृत्व को स्वीकार नहीं थी।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रियाएँ
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसे भारतीय राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं को उन्हें मनाने का प्रयास करना चाहिए था। वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद रामगोपाल यादव ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए ज्यादा टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि वे इसके पीछे की बातों को नहीं जानते।
धनखड़ का इस्तीफा
भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं। अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 67(ए) का उल्लेख किया।