उमाशंकर सिंह की PWD में पकड़: परिवहन मंत्री के बयान से बढ़ी चर्चाएं
उमाशंकर सिंह की राजनीतिक स्थिति
लखनऊ। यूपी लोक निर्माण विभाग (PWD) में अपनी मजबूत स्थिति के लिए जाने जाने वाले बसपा विधायक उमाशंकर सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। यह चर्चा उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के एक बयान के कारण हुई है, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए PWD के एक अधिकारी को फटकार लगाई। मंत्री के आरोपों से यह स्पष्ट हो गया है कि उमाशंकर सिंह का PWD में प्रभाव बना हुआ है। इस बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में उमाशंकर और दयाशंकर के बीच की स्थिति पर चर्चा तेज हो गई है।
क्या है मंत्री और विधायक के बीच का विवाद?
तनातनी की अटकलें
परिवहन मंत्री के बयान के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या उमाशंकर सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच कोई विवाद है। दोनों विधायक बलिया से हैं, और उमाशंकर सिंह बसपा के एकमात्र विधायक हैं, जो अक्सर सरकार के साथ नजर आते हैं। इस स्थिति ने सवाल उठाए हैं कि क्या दयाशंकर सिंह ने बिना नाम लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें कही हैं।
बलिया की राजनीति में हलचल
राजनीतिक गतिविधियों में वृद्धि
बलिया की राजनीति में हलचल मचने की संभावना है। उमाशंकर सिंह का वहां एक मजबूत प्रभाव है, जबकि दयाशंकर सिंह भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। मंत्री के बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए यह कहा कि, 'मैं जानता हूं किसके इशारों पर काम कर रहे हो।'
उमाशंकर सिंह का PWD में प्रभाव
दखल और ठेके
उमाशंकर सिंह का PWD में बड़ा दखल माना जाता है। उनकी कंपनी को बड़े ठेके और टेंडर मिलते हैं। पिछले दो दशकों से PWD में उनका प्रभाव बना हुआ है। हाल ही में एक टेंडर को कैंसिल किया गया था, जिसके बाद उसकी लागत बढ़ा दी गई थी। पहले यह 210 करोड़ का था, जिसे बाद में 301 करोड़ बताया गया। इस टेंडर को लेकर भी चर्चाएं हुई थीं।
उमाशंकर सिंह का लंबा राजनीतिक सफर
दशकों का अनुभव
उमाशंकर सिंह का PWD में दो दशकों से अधिक का अनुभव है। उनके खिलाफ आरोप हैं कि उनकी कंपनी को अधिकांश ठेके मिलते हैं। कहा जाता है कि सरकार चाहे किसी की भी हो, PWD में उनका प्रभाव बना रहता है। मौजूदा सरकार में भी उनका प्रभाव स्पष्ट है, जो उनके केंद्र और राज्य सरकार के नेताओं के साथ करीबी संबंधों से जुड़ा है।
उमाशंकर सिंह की विधायकी का विवाद
विधायकी का नुकसान
उमाशंकर सिंह अपनी विधायकी भी एक बार ठेकों के विवाद में खो चुके हैं। तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया था, जब उन पर अपने पद का दुरुपयोग करके सरकारी ठेके लेने का आरोप साबित हुआ था।