एयर इंडिया दुर्घटना के एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति की कहानी
दुर्घटना का भयावह अनुभव
अहमदाबाद: 'जाको राखे साइयां, मार सकै न कोय' यह कहावत 12 जून को अहमदाबाद में सच साबित हुई। एयर इंडिया की उड़ान AI171, जो अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई, में विश्वाशकुमार रमेश एकमात्र जीवित बचे। उनके बड़े भाई, अजयकुमार, इस हादसे में जान गंवा बैठे। इस चमत्कारी बचाव को ईश्वर की कृपा माना गया, लेकिन विश्वाशकुमार के लिए यह एक जीवन भर का अभिशाप बन गया।
भयावह यादें और मानसिक आघात
ब्रिटेन के लीसेस्टर में रहने वाले विश्वाशकुमार आज भी उस दिन की यादों से उबर नहीं पाए हैं। उनकी शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक आघात भी गहरा है, जिसके कारण वे घर से बाहर निकलना भी बंद कर चुके हैं।
'अब कुछ करने का मन नहीं करता'
स्काई न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा, “विमान के बारे में सोचना बहुत दर्दनाक है... मैं अब कुछ नहीं करता, बस कमरे में अकेला बैठा रहता हूं। हर समय भाई की याद आती है। मेरे लिए वह सबकुछ था।” इस दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए और कई बार वे रुक गए।
परिवार पर असर
विश्वाशकुमार की पत्नी और चार साल का बेटा दिवांग उनके साथ रहते हैं, लेकिन हादसे के बाद पारिवारिक संबंध भी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे से ठीक से बात नहीं कर पाते और वह उनके कमरे में भी नहीं आता, शायद उसे भी डर लगता है।
‘पत्नी को नहाने में मदद करनी पड़ती है’
विश्वाशकुमार ने बताया कि उन्हें गंभीर चोटें आई थीं, जिसके कारण उन्हें कई बार खुद से नहाने में भी कठिनाई होती है। उनकी पत्नी को मदद करनी पड़ती है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी मानसिक स्थिति शारीरिक चोटों से अधिक गंभीर है।
व्यवसाय पर प्रभाव
विश्वाशकुमार और उनके भाई ने अपनी सारी बचत मिलाकर भारत में एक मछली पालन का कारोबार शुरू किया था, जो पहले अच्छा चल रहा था। लेकिन इस दुर्घटना ने न केवल उनके परिवार को तोड़ा, बल्कि उनके व्यवसाय को भी ठप कर दिया।
लीसेस्टर समुदाय के नेता संजीव पटेल ने कहा, “उनका पूरा परिवार अब आर्थिक संकट में है। उन्हें अपनी ज़िंदगी दोबारा शुरू करने के लिए व्यावहारिक मदद की ज़रूरत है।”
मुआवजे की कमी
एयर इंडिया ने विश्वाशकुमार को 21,500 पाउंड का अंतरिम मुआवजा दिया है, लेकिन उनके प्रवक्ता का कहना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि विश्वाशकुमार को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से पुनर्वास के लिए बड़ी सहायता की आवश्यकता है।
एयर इंडिया का जवाब
एयर इंडिया ने कहा है कि वे प्रभावित परिवारों की मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रवक्ता ने कहा, “हम श्री रमेश और अन्य पीड़ित परिवारों की स्थिति से अवगत हैं और उन्हें हर संभव सहायता देने का प्रयास कर रहे हैं।”
हालांकि, विश्वाशकुमार के परिजनों का मानना है कि जब तक कंपनी सीधे संवाद नहीं करती, तब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
दुर्घटना का दिन
12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद से ब्रिटेन के गैटविक के लिए उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद विमान में तकनीकी खराबी आई और वह एक मेडिकल हॉस्टल से टकरा गया। इस हादसे में 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई।
विश्वाशकुमार ने अस्पताल में बताया कि जब वह उठे तो उनके चारों ओर लाशें पड़ी थीं। उन्होंने कहा कि लोग उन्हें 'भाग्यशाली' कहते हैं, लेकिन उनके लिए जिंदा रहना सबसे बड़ा बोझ बन गया है।