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ओम प्रकाश राजभर ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग की

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने प्रमुख राजनीतिक नेताओं को पत्र लिखकर सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को तुरंत लागू करने की मांग की है। उन्होंने OBC के 27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने का सुझाव दिया है, जिससे हर वर्ग को उसका उचित हिस्सा मिल सके। राजभर ने यह भी सवाल उठाया कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं। जानें इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में अधिक जानकारी।
 

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 के नजदीक आते ही प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। सुभासपा के प्रमुख और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने जेपी नड्डा, अनुप्रिया पटेल, मल्लिकार्जुन खरगे, अखिलेश यादव और मायावती को पत्र लिखकर "सामाजिक न्याय समिति" की रिपोर्ट को तुरंत लागू करने की अपील की है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश में OBC के 27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटकर हर वर्ग को उसका उचित हिस्सा मिलना चाहिए।


राजभर ने अपने पत्र में बताया कि वर्ष 2001 में हुकुम सिंह की अध्यक्षता में "सामाजिक न्याय समिति" का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य था कि उत्तर प्रदेश में OBC को दिए गए 27% आरक्षण का बंटवारा किया जाए ताकि सभी पिछड़े वर्गों को इसका लाभ मिल सके। समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन तत्कालीन सरकार के कार्यकाल समाप्त होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका।


इसके बाद, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की सरकारों ने भी इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया, जिससे कुछ जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिलता रहा और अन्य पिछड़ी जातियाँ वंचित रह गईं। 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद, न्यायमूर्ति राधवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में एक नई "सामाजिक न्याय समिति" का गठन किया गया। इस समिति ने सुझाव दिया कि 27% आरक्षण को तीन भागों में बांटकर पिछड़ा वर्ग को 7%, अतिपिछड़ा वर्ग को 9%, और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11% आरक्षण दिया जाए।



उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले 27% आरक्षण को 07 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 09 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग और 11 प्रतिशत सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग में बांटने की बात विपक्षी पार्टियों द्वारा सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं उठाई जा रही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत सरकार द्वारा "रोहिणी आयोग" का गठन किया गया था और इसकी रिपोर्ट भी सरकार को प्राप्त हो चुकी है।


राजभर ने सवाल उठाया कि इन दोनों समितियों की रिपोर्टों को लागू करने के लिए विपक्षी दलों के नेता सदन में क्यों नहीं आवाज उठाते हैं। क्या वे पिछड़ी जातियों को और पीछे धकेलना चाहते हैं? यदि ऐसा नहीं है, तो 27% आरक्षण को तीन भागों में बांटकर इसका लाभ सभी वर्गों को देने की मांग क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करने के लिए अपनी राय स्पष्ट करें।