ओवैसी का सरकार पर हमला: क्रिकेट और शहीदों की याद
संसद में ओवैसी का तीखा बयान
संसद के मॉनसून सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, तो क्रिकेट कैसे खेला जा सकता है? ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि क्या वह शहीदों के परिवारों से कहेगी कि वे पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच देखें? उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि 7.5 लाख जवानों की मौजूदगी में आतंकवादी कैसे घुस आए? ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार केवल बदले के नाम पर दिखावा कर रही है और असली जवाबदेही से बच रही है।
शहीदों की याद में क्रिकेट का सवाल
ओवैसी ने संसद में कहा कि उनकी आत्मा उन्हें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट देखने की अनुमति नहीं देती। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार उन परिवारों से कहेगी, जिनके लोग बैसारन में मारे गए, कि वे अब भारत-पाकिस्तान का मैच देखें? उन्होंने केंद्र की उस नीति पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, लेकिन क्रिकेट खेलने की बात की जाती है।
सरकार से सीधा सवाल
'क्या शहीदों से कहेंगे बदला पूरा हो गया'
असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए सरकार से सीधा सवाल किया कि क्या वह 25 मरे हुए नागरिकों से कहेगी कि हमने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए बदला ले लिया है? उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक करार देते हुए कहा कि जब हमारे नागरिक मारे जा रहे हैं, उस समय सरकार को खेल की नहीं, जवाबदेही की बात करनी चाहिए। ओवैसी का यह बयान संसद में चर्चा का केंद्र बन गया है.
सुरक्षा में चूक का सवाल
'7.5 लाख जवान, फिर भी चूक कैसे हुई'
ओवैसी ने हैरानी जताते हुए कहा कि भारत के पास 7.5 लाख सेना और अर्धसैनिक बल हैं, फिर चार आतंकवादी कैसे घुस आए? उन्होंने यह सवाल उठाया कि सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल सैन्य ऑपरेशन की तस्वीरें दिखाकर जनता को बहलाने की कोशिश कर रही है, जबकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है.
सरकार की नीति पर सवाल
'क्रिकेट खेलना या जवाबदेही से बचना'
AIMIM सांसद ने कहा कि सरकार की नीति में स्पष्टता की कमी है। एक ओर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख दिखाने की बात होती है, तो दूसरी ओर उसी पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने की तैयारी की जाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार को यह तय करना होगा कि वह शहीदों की पीड़ा को समझेगी या केवल अंतरराष्ट्रीय संबंधों की आड़ में सब कुछ ढकने की कोशिश करेगी। विपक्ष के कुछ नेताओं ने उनके बयान का समर्थन किया है.