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ओसामा बिन लादेन की हत्या: पाकिस्तान की संप्रभुता पर सवाल

2 मई, 2011 को ओसामा बिन लादेन की हत्या ने न केवल अमेरिका को एक बड़ी जीत दिलाई, बल्कि पाकिस्तान की संप्रभुता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस घटना के बाद, बिन लादेन के ठिकाने और उसकी पहचान को लेकर कई रहस्य सामने आए। पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर की नई पुस्तक में इस ऑपरेशन के पीछे की सच्चाइयों और सीआईए की गहरी खुफिया जानकारी का खुलासा किया गया है। जानें इस घटना के बाद पाकिस्तान की स्थिति और अमेरिका के दबाव के बारे में।
 

ओसामा बिन लादेन का अंत

2 मई, 2011 की सुबह को इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में याद किया जाएगा, जब अमेरिका ने अपने सबसे साहसी सैन्य अभियानों में से एक को अंजाम दिया। पाकिस्तान के एबटाबाद में 40 मिनट के ताबड़तोड़ हमले में, अमेरिकी नेवी सील्स ने अल-कायदा के नेता और 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। इस ऑपरेशन ने न केवल दुनिया को चौंका दिया, बल्कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को भी सवालों के घेरे में ला दिया।


बिन लादेन की पहचान का रहस्य

इस घटना के बाद सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि बिन लादेन पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के निकट एक गैरीसन शहर में वर्षों तक बिना किसी पहचान के कैसे रह सकता था। उसकी मौत के बाद उसके परिवार का भविष्य भी रहस्यमय बना रहा। पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर की हालिया पुस्तक, "द जरदारी प्रेसीडेंसी: नाउ इट मस्ट बी टोल्ड", ने इन सवालों पर नई रोशनी डाली है।


पाकिस्तान की संप्रभुता पर उठे सवाल

बाबर के अनुसार, बिन लादेन की हत्या के तुरंत बाद, पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसकी पत्नियों को हिरासत में ले लिया। लेकिन सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि कुछ ही दिनों में, सीआईए की एक टीम ने एबटाबाद कैंटोनमेंट में सीधे पहुंच बना ली और महिलाओं से पूछताछ की, जिससे पाकिस्तान की संप्रभुता पर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुईं। बाबर इसे "राष्ट्रीय अपमान" का क्षण मानते हैं।


अमेरिकी दबाव और पाकिस्तान की मजबूरी

बाबर अपनी किताब में बताते हैं कि रेड के बाद, तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और सीनेटर जॉन केरी जैसे वरिष्ठ अमेरिकी नेता पाकिस्तान पहुंचे। उस समय, इस्लामाबाद इस बात की पुष्टि चाहता था कि अमेरिका भविष्य में एकतरफा हमलों से बचेगा। फिर भी, बाबर का मानना है कि अमेरिका ने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया।


CIA की गहरी खुफिया जानकारी

बाबर अपनी पुस्तक में यह भी बताते हैं कि सीआईए ने रेड से पहले ही बिन लादेन के एबटाबाद स्थित ठिकाने के बारे में गहन खुफिया जानकारी इकट्ठा कर ली थी। उनका दावा है कि एजेंसी को उस ठेकेदार की पहचान भी ज्ञात थी जिसने उस परिसर का निर्माण किया था, जहाँ दुनिया का सबसे वांटेड आतंकवादी छिपा हुआ था।