कनाडा में अपार्टमेंट किराए पर न मिलने का मामला: महिला ने लगाया भेदभाव का आरोप
किराए पर अपार्टमेंट न मिलने का आरोप
कनाडा में एक महिला ने सोशल मीडिया पर गंभीर आरोप लगाया है कि उसे एक अपार्टमेंट किराए पर नहीं दिया गया क्योंकि वह 'गुजराती भारतीय' नहीं है। इस महिला ने न केवल इस भेदभाव की बात की, बल्कि इसके समर्थन में लिखित सबूत होने का भी दावा किया। इस घटना ने कनाडा में इमीग्रेशन और आवास संकट पर गहरी बहस को जन्म दिया है।
महिला का परिचय
कैरोलिन आयरनविल नाम की यह महिला टोरंटो में एक टैरोट कंसल्टेंट हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Threads पर साझा किया कि उन्हें एक अपार्टमेंट केवल इसलिए नहीं मिला क्योंकि वह गुजराती भारतीय नहीं हैं। आयरनविल ने बताया कि यह अपार्टमेंट एक अलग यूनिट था, साझा नहीं, और उन्हें लिखित रूप से मना किया गया। उन्होंने landlords के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की इच्छा भी व्यक्त की।
कनाडा में गुजराती समुदाय
गुजराती समुदाय और कनाडा
2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा में 2 लाख से अधिक गुजराती लोग निवास करते हैं, जिनमें से अधिकांश टोरंटो और उसके आस-पास रहते हैं। गुजराती भाषा कनाडा में पंजाबी और हिंदी के बाद तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भारतीय भाषा है। इस संदर्भ में आयरनविल के आरोप को स्थानीय परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।
हाउसिंग संकट पर विचार
हाउसिंग संकट पर आरोप
आयरनविल ने अपने पोस्ट में भारतीय प्रवासी समुदाय को कनाडा के हाउसिंग संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि भारतीय प्रवासी यहां आकर संपत्तियाँ खरीद लेते हैं और फिर स्थानीय नागरिकों को किराए पर नहीं देते। उन्होंने लिखा, 'वे लोग कनाडा आते हैं, घर खरीदते हैं और हमें घर देने से मना कर देते हैं। यही कारण है कि यहां हाउसिंग संकट है। मैं इस मामले में कोर्ट जाने का विचार कर रही हूं।'
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
सोशल मीडिया पर बहस
आयरनविल की पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ मिश्रित रही हैं। कुछ ने उनके आरोप को झूठा और इमीग्रेशन विरोधी बताया, जबकि अन्य ने उनके समर्थन में आवाज उठाई। एक यूजर ने लिखा, 'मैंने भी घर खोजते समय कई मकान मालिकों को देखा है जिन्होंने कहा कि वे गैर-भारतीय या श्वेत लोगों को घर नहीं देंगे।'