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कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा: क्या है असली कहानी?

कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएं फिर से तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की, जिसमें स्थानीय निकाय चुनाव और संगठनात्मक तैयारियों पर चर्चा हुई। खड़गे ने सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाने की योजना बनाई है, जिससे राजनीतिक स्थिति पर विस्तृत चर्चा हो सके। इस बीच, राजनीतिक तनाव की चेतावनी भी दी गई है, जिससे सरकार की छवि प्रभावित हो सकती है। क्या यह नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में एक कदम है? जानें पूरी कहानी।
 

बेंगलुरू में सिद्धारमैया और खड़गे की मुलाकात


बेंगलुरू: कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाएं फिर से गर्म हो गई हैं। शनिवार शाम को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बेंगलुरू में मुलाकात की। इस बैठक में स्थानीय निकाय चुनाव और संगठनात्मक तैयारियों पर चर्चा हुई। सिद्धारमैया ने कहा कि पार्टी हाईकमान का जो भी निर्णय होगा, वह उसे स्वीकार करेंगे।


दिल्ली में संभावित बैठक

सूत्रों के अनुसार, खड़गे ने मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाया है, जहां कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। माना जा रहा है कि सिद्धारमैया नवंबर के अंत तक दिल्ली जा सकते हैं।


राजनीतिक तनाव की चेतावनी

सीएमओ से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी है कि राज्य में चल रहा राजनीतिक तनाव सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में जल्द निर्णय लेना आवश्यक हो गया है।


सिद्धारमैया ने खड़गे से बातचीत में कहा कि निरंतर राजनीतिक उतार-चढ़ाव से प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि पार्टी जब चाहे उन्हें बुला सकती है।


नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि कैबिनेट या नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जो चर्चाएं चल रही हैं, वे केवल मीडिया की अटकलें हैं।


उन्होंने उन विधायकों की नाराजगी पर भी चर्चा की, जो हाल ही में दिल्ली गए थे। सिद्धारमैया ने कहा कि चाहे विधायक दिल्ली जाएं या अपनी राय रखें, अंत में निर्णय हाईकमान का होगा।


विधायकों की दिल्ली यात्रा

हाल ही में कई विधायकों के दिल्ली जाने के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के समर्थक सत्ता हस्तांतरण की मांग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार बनने के दौरान एक अनौपचारिक फॉर्मूला तय हुआ था, जिसके तहत कार्यकाल के बीच में नेतृत्व परिवर्तन पर विचार होना था। हालांकि, सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ने इसे खारिज किया है।


शिवकुमार का स्पष्टीकरण

कुछ दिन पहले, शिवकुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर 'नवंबर रिवॉल्यूशन' जैसी चर्चाओं पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि सभी 140 विधायक कांग्रेस परिवार से जुड़े हैं और गुटबाजी की कोई संस्कृति नहीं है।


शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि विधायकों का दिल्ली जाना नेतृत्व से सामान्य राजनीतिक संवाद का हिस्सा है और इसका नेतृत्व परिवर्तन से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने सिद्धारमैया का समर्थन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और पार्टी एकजुट होकर उनके साथ काम करेगी।