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कर्नाटक में कांग्रेस का नेतृत्व परिवर्तन: सत्ता संघर्ष की नई परतें

कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रहा विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष ने पार्टी के भीतर असमंजस पैदा कर दिया है। क्या कांग्रेस इस स्थिति को संभाल पाएगी या फिर भाजपा का हस्तक्षेप होगा? जानिए इस जटिल राजनीतिक परिदृश्य के बारे में और क्या हो सकता है आगे।
 

कांग्रेस पार्टी का निर्णय कब आएगा?

कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर कब निर्णय लेगी, यह एक बड़ा सवाल बन गया है। पार्टी इस मुद्दे को टालते हुए कह रही है कि कोई विवाद नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है कि स्थिति गंभीर है। छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह का विवाद हुआ था, जिसका परिणाम सभी ने देखा। वहां तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा था, जो अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच भी देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में भी पॉवर शेयरिंग के कारण टकराव हुआ था।


डीके शिवकुमार का समर्थन और सिद्धारमैया का रुख

डीके शिवकुमार के समर्थक भी यही दावा कर रहे हैं कि उन्हें ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया गया था, लेकिन सिद्धारमैया इस पर सहमत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान 16 बजट पेश करने का भी जिक्र किया। इस पर शिवकुमार ने व्यंग्य करते हुए शुभकामनाएं दीं। यह सत्ता संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।


कांग्रेस की रणनीति और भाजपा पर आरोप

हाल ही में, जब शिवकुमार दिल्ली पहुंचे, तो उनके साथ कई विधायक भी थे। कांग्रेस ने विधायकों को चुप कराने की कोशिश की, लेकिन इस बार भाजपा पर भी निशाना साधा गया। कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा को गुटबाजी की शिकार पार्टी बताया और कहा कि वे मीडिया के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। यह पहली बार है जब कांग्रेस ने माना है कि सत्ता संघर्ष में भाजपा का हाथ हो सकता है।


भविष्य की संभावनाएं

हालांकि, कांग्रेस के पास 137 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 63 और जेडीएस के 18 विधायक हैं। इसका मतलब है कि जब तक कांग्रेस में कोई बड़ी टूट नहीं होती, तब तक कोई नई सरकार बनने की संभावना नहीं है। शिवकुमार ने कहा है कि वे गुटबाजी में नहीं रहते, लेकिन उनके भाई डीके सुरेश ने कहा है कि राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सभी जानकारी दे दी गई है। अब यह निर्णय उन पर निर्भर करता है।