कर्नाटक में जाति आधारित सर्वेक्षण पर नया कानूनी विवाद
कर्नाटक में जाति आधारित सर्वेक्षण का विवाद
कर्नाटक में जाति आधारित सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस विवाद में एक नया कानूनी मोड़ सामने आया है। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने एक महत्वपूर्ण दावा किया है। उन्होंने कहा कि आयोग को केवल अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) की गणना करने और उनकी स्थिति का आकलन करने का संवैधानिक अधिकार है। आयोग को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या किसी अन्य समुदाय की गणना करने का अधिकार नहीं है।हेगड़े के अनुसार, संविधान ने विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग आयोग स्थापित किए हैं। जैसे कि SC समुदाय के लिए एक राष्ट्रीय आयोग और ST समुदाय के लिए एक अलग आयोग है। पिछड़ा वर्ग आयोग का कार्य केवल उन जातियों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगाना है जो इसके दायरे में आती हैं।
उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सभी जातियों की गणना की रिपोर्ट को स्वीकार किया जाता है, तो यह एक गंभीर कानूनी गलती होगी। इस रिपोर्ट को किसी भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है और इसे आसानी से खारिज किया जा सकता है।
इस दावे ने सिद्धारमैया सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जो इस रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करना चाहती है। विपक्ष पहले से ही इस रिपोर्ट को "अवैज्ञानिक" और "समाज को बांटने वाली" करार दे चुका है। अब इस कानूनी दलील के बाद सरकार पर और अधिक दबाव बढ़ गया है।