कर्नाटक में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच बढ़ती तनातनी: क्या है असली वजह?
सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच तनाव
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच की खींचतान एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से उजागर हुई है। यह घटना मैसूरु जिले में आयोजित 'साधना समावेशा' कार्यक्रम के दौरान हुई, जब मुख्यमंत्री ने मंच पर शिवकुमार का नाम लेने से इनकार कर दिया।
शिवकुमार का अचानक कार्यक्रम छोड़ना
यह कार्यक्रम कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने और नई योजनाओं की घोषणा के लिए आयोजित किया गया था। मंच पर शिवकुमार और कई अन्य वरिष्ठ मंत्री उपस्थित थे। लेकिन कार्यक्रम की शुरुआत के कुछ समय बाद, शिवकुमार ने किसी आपात स्थिति का हवाला देते हुए बेंगलुरु के लिए प्रस्थान किया।
सिद्धारमैया की नाराजगी
जब सिद्धारमैया ने बोलना शुरू किया, तो उन्होंने मंच पर उपस्थित लोगों का परिचय दिया, लेकिन शिवकुमार का नाम नहीं लिया। जब एक कांग्रेस नेता ने उनसे शिवकुमार का नाम लेने के लिए कहा, तो मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा, "डीके शिवकुमार तो यहाँ नहीं हैं। आप किस तरह के वकील हैं?" उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल उन लोगों का नाम लिया जाना चाहिए जो मंच पर मौजूद हों।
मुख्यमंत्री पद की खींचतान
इस घटना को कर्नाटक सरकार में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान से जोड़ा जा रहा है। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया है कि शिवकुमार जल्द ही मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
सिद्धारमैया ने अटकलों को खारिज किया
हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में मुख्यमंत्री पद में कोई बदलाव नहीं होगा। सिद्धारमैया ने अपने इस्तीफे की अटकलों को भी खारिज किया है। शिवकुमार ने सार्वजनिक रूप से सिद्धारमैया का समर्थन करने की बात कही है, लेकिन दोनों नेताओं के बीच तनाव समय-समय पर सामने आता रहा है।
2023 के चुनावों के बाद से विवाद
यह विवाद 2023 के विधानसभा चुनावों के परिणामों से जुड़ा हुआ है, जब कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की थी। उस समय शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद का संभावित दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया।
रोटेशनल मुख्यमंत्री का समझौता
कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया था कि पार्टी नेतृत्व ने सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच 'रोटेशनल मुख्यमंत्री' बनने का समझौता किया है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में शीर्ष नेतृत्व के बीच तनाव एक बार फिर से सामने आया है। यदि यह दूरी सार्वजनिक मंचों पर बनी रही, तो इससे पार्टी की एकता और सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं।