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कर्नाटक में सिद्धारमैया का कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ मोर्चा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जो सीधे राहुल गांधी को चुनौती दे रहा है। जाति गणना के मुद्दे पर खड़गे की नाराजगी के बाद, सिद्धारमैया ने ओबीसी संगठनों को प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया है। इस स्थिति ने कर्नाटक कांग्रेस में नए विवाद को जन्म दिया है, जिसमें डीके शिवकुमार भी शामिल हैं। जानें इस राजनीतिक संघर्ष के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 

सिद्धारमैया का नया मोर्चा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अब अपने समर्थकों के साथ मिलकर कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पहले वह उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के साथ मिलकर लड़ाई लड़ रहे थे, लेकिन अब उनका संघर्ष सीधे राहुल गांधी के खिलाफ है। यह स्थिति दिलचस्प है क्योंकि इस विवाद में डीके शिवकुमार का कोई सीधा हाथ नहीं है। जाति गणना के मुद्दे पर मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही नाराज हो चुके थे और उन्होंने राहुल गांधी को समझाने का प्रयास किया। इसके परिणामस्वरूप, सिद्धारमैया और शिवकुमार को दिल्ली बुलाया गया, जहां उन्हें पुरानी जाति गणना रिपोर्ट को रद्द करने का निर्देश दिया गया।


सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया

सिद्धारमैया ने बेंगलुरू लौटते ही स्पष्ट कर दिया कि जाति गणना को रद्द करने का निर्णय कर्नाटक सरकार का नहीं, बल्कि कांग्रेस आलाकमान का है। यह कांग्रेस के पारंपरिक कल्चर से भिन्न है, जहां आमतौर पर आलाकमान को केवल सकारात्मक निर्णयों का श्रेय दिया जाता है। सिद्धारमैया ने आलाकमान को कठघरे में खड़ा कर दिया है, जिससे विवाद बढ़ता देख डीके शिवकुमार भी चुप हो गए हैं। अब कर्नाटक में राहुल गांधी और खड़गे के प्रति नाराजगी बढ़ रही है।


ओबीसी संगठनों का प्रदर्शन

सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया ने ओबीसी संगठनों को प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया है। कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में ओबीसी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सिद्धारमैया ओबीसी की कुरुबा जाति से आते हैं और कर्नाटक में ओबीसी और मुस्लिम समुदायों के बीच बने समीकरण के कारण उनकी स्थिति मजबूत है। जाति गणना में ओबीसी और मुस्लिम आबादी की संख्या अधिक बताई गई है, जबकि लिंगायत और वोक्कालिगा की संख्या कम है, जिससे इन समूहों में नाराजगी है।


कर्नाटक कांग्रेस में नया विवाद

सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री के रूप में दो साल पूरे हो चुके हैं, और डीके शिवकुमार आलाकमान के साथ हुए समझौते के अनुसार ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, सभी को पता है कि सिद्धारमैया सीएम पद नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने पार्टी विधायक दल में अपने समर्थकों का एक अलग गुट बना लिया है, जो पिछड़े और मुस्लिम विधायकों की मांगों को मजबूती से उठाएंगे। इस प्रकार, कर्नाटक कांग्रेस में एक नया विवाद शुरू होने की संभावना है।