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कांग्रेस की नई रणनीति: अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने की तैयारी

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच, कांग्रेस ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को लुभाने के लिए एक नई रणनीति की घोषणा की है। पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि EBC समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी मिलेगी। इस कदम ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस का यह प्रयास अति पिछड़ा वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बिहार की सियासी बिसात पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
 

बिहार में चुनावी हलचल

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों में तेजी आ गई है। इसी संदर्भ में, कांग्रेस ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को आकर्षित करने के लिए एक नई योजना की घोषणा की है। पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि वह EBC समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी प्रदान करेगी। इस कदम ने राज्य की राजनीतिक स्थिति में हलचल पैदा कर दी है।


कार्यक्रम में प्रस्ताव पारित

यह घोषणा पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की गई, जिसमें अति पिछड़ा समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कांग्रेस ने इस अवसर पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें अति पिछड़े वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। पार्टी ने यह भी कहा कि यह मुद्दा उसके राजनीतिक एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता पर रहेगा।


सामाजिक नेताओं की उपस्थिति

कार्यक्रम में कई सामाजिक नेताओं ने भी भाग लिया, जिनमें प्रो. शिव जनतन ठाकुर, अली अनवर, डॉ. केपी सिंह, चंद्रदेव कुमार चौधरी और नीलू कुमारी शामिल थे। उन्होंने इसे केवल एक अभिनंदन समारोह नहीं, बल्कि अति पिछड़ा समाज की आवाज को मुख्यधारा की राजनीति में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस दौरान अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के नए चेयरमैन शशि भूषण पंडित का भी सम्मान किया गया।


कांग्रेस की नजर अति पिछड़ा वोटर्स पर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस का यह कदम बिहार की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि अति पिछड़ा वर्ग एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस की यह रणनीति आगामी चुनावों में कितनी सफल होती है और अन्य दल इसका मुकाबला कैसे करते हैं।


EBC का राजनीतिक परिदृश्य

बिहार में चुनावों से पहले कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। जातीय सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 27.12 प्रतिशत आबादी अति पिछड़ा वर्ग की है, जिसमें मल्लाह, कानू, चंद्रवंशी, नोनिया, नाई जैसी जातियां शामिल हैं। ये जातियां न केवल सामाजिक और आर्थिक रूप से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी पिछड़ी हुई हैं।


बिहार का वोटिंग पैटर्न

कांग्रेस की नजर इस वोट बैंक पर है, क्योंकि यह आरजेडी के पास भी नहीं है। पार्टी का लक्ष्य बीजेपी और जेडीयू के वोट बैंक में सेंधमारी करना है। यह ध्यान देने योग्य है कि बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोटिंग पैटर्न भिन्न होता है। अब देखना यह है कि कांग्रेस अपनी नई रणनीति से एनडीए और बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा पाती है।