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कांग्रेस ने बिहार चुनाव से पहले मतदाता पुनरीक्षण पर उठाए सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने मतदाता पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग और सरकार पर सवाल उठाए हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश है। उन्होंने चुनाव आयोग से स्पष्टता की मांग की और कहा कि एकतरफा फैसले जनता के विश्वास को कमजोर कर रहे हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

कांग्रेस का चुनाव आयोग पर हमला

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस ने सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के नेता भाजपा को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।


राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पटना में चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमें नहीं पता कि उनकी मंशा क्या है।"


गहलोत ने आगे कहा कि कांग्रेस बार-बार यह कह रही है कि यह लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन का निर्णय भी भ्रम पैदा कर रहा है और चुनाव आयोग इस पर स्पष्टता नहीं दे रहा है।


उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में चुनाव से पहले यह नई पहल बिना विपक्ष को विश्वास में लिए की जा रही है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह सभी पक्षों से बातचीत करे और फिर निर्णय ले। एकतरफा फैसले लेना उचित नहीं है, इससे जनता का विश्वास भी घट रहा है।


गहलोत ने बताया कि दिल्ली में काम करने वाले लोग भी इस प्रक्रिया में उलझन का सामना कर रहे हैं, जैसे कि अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र कैसे लाना है। उन्होंने चुनाव आयोग को सलाह दी कि जल्द से जल्द इस भ्रम को दूर करना चाहिए।


बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और चुनाव आयोग मतदाता पुनरीक्षण का कार्य कर रहा है। इसके तहत 25 जून से 26 जुलाई तक घर-घर सर्वेक्षण किया जाएगा। सत्ता पक्ष इसे सही मानता है, जबकि विपक्ष इसका विरोध कर रहा है।