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कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ उठाई आवाज, बिहार में वोटरों की कटौती पर चिंता

कांग्रेस के नेता परगट सिंह ने बिहार में 65 लाख वोटरों की सूची से कटौती को गंभीर मुद्दा बताया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। परगट ने चेतावनी दी कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आम लोगों का चुनाव आयोग पर विश्वास उठ जाएगा। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को हर मंच पर उठाने का संकल्प ले चुकी है। क्या यह जानबूझकर किया गया राजनीतिक बहिष्कार है? जानें पूरी कहानी में।
 

बिहार में वोटरों की सूची से कटौती पर गंभीर चिंता

-बिहार में 65 लाख से अधिक वोटरों की सूची से कटौती को बताया बेहद गंभीर और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी


-परगट ने चेताया: भाजपा के इन हत्थकंडों से चुनाव आयोग व लोकतंत्र से उठ जाएगा आम लोगों का विश्वास


-राहुल गांधी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि लोकतंत्र को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया जा रहा


नई दिल्ली: विधायक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव पद्मश्री परगट सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राष्ट्रीय चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर वोटरों के नामों को हटाने का गंभीर कार्य कर रही है।


उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को इस तरह के उपायों से नहीं रोका गया, तो आम लोगों का चुनाव आयोग पर विश्वास उठ जाएगा। पहले महाराष्ट्र और अब बिहार में लाखों वोटों में हेराफेरी लोकतंत्र के लिए खतरा है।


परगट ने चेतावनी दी कि अगला निशाना पंजाब हो सकता है, जहां भाजपा सरकार में आने के लिए वोटर लिस्टों में हेरफेर कर सकती है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मतदाताओं को भाजपा जैसी पार्टी से सावधान रहना चाहिए, जो लोकतंत्र और संविधान के साथ खिलवाड़ करती है।


कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को चुनाव आयोग, संसद और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय तक उठाएगी। यह कोई साधारण प्रशासनिक गलती नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे पर हमला है।


बिहार में 65 लाख से अधिक वोटरों की सूची से कटौती बेहद गंभीर


परगट ने कहा कि बिहार में विशेष पुनरीक्षण के दौरान 65 लाख से अधिक वोटरों के नाम हटाए जाने की घटना गंभीर है। मतदाता संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ होना न केवल असामान्य है, बल्कि यह आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं को बिना पारदर्शिता के सूची से बाहर किया गया है, तो यह चुनावी प्रक्रिया की वैधता पर संदेह पैदा करता है।


पटना (3.95 लाख), मधुबनी, पूर्वी चंपारण और गोपालगंज जिलों में सबसे अधिक कटौती हुई है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कुछ क्षेत्रों को असमान रूप से प्रभावित किया गया है, जिसकी तत्काल जांच आवश्यक है।


कांग्रेस का रुख: लोकतंत्र से समझौता नहीं होगा
परगट सिंह ने कहा कि यह मुद्दा राजनीति का नहीं, बल्कि जनता के संवैधानिक अधिकारों का है। हर नागरिक को मतदान का अधिकार है और इसे चुपचाप नहीं छीना जा सकता।


राहुल गांधी की चेतावनी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता


परगट सिंह ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार चेताते रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया जा रहा है। यदि करोड़ों लोगों के वोट बिना जांचे-परखे काटे जा सकते हैं, तो यह लोकतांत्रिक चुनाव का मज़ाक है।


क्या यह जानबूझकर किया गया राजनीतिक बहिष्कार है?


परगट सिंह ने सवाल उठाया कि एनडीए सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? यदि यह मामला किसी कांग्रेस शासित राज्य में होता, तो भाजपा अब तक इस्तीफे मांग चुकी होती। क्या यह महज़ प्रशासनिक प्रक्रिया है या फिर राजनीतिक रूप से प्रेरित बहिष्करण है?


कांग्रेस की प्रमुख मांगें:
1. एक स्वतंत्र और समयबद्ध जांच कराई जाए कि किन आधारों पर 65 लाख नाम हटाए गए।
2. चुनाव आयोग स्पष्ट करे कि यह पुनरीक्षण किन मापदंडों पर किया गया।
3. जनसमर्थन और पारदर्शिता के साथ प्रक्रिया दोबारा खोली जाए, ताकि वंचित मतदाताओं को फिर से शामिल किया जा सके।
4. सीमावर्ती और पिछड़े क्षेत्रों, विशेषकर सीमांचल जैसे जिलों में, मतदाता सूची की निष्पक्षता की अतिरिक्त समीक्षा कराई जाए।