कांग्रेस ने मोदी के पुराने वीडियो से उठाया महंगाई का मुद्दा
महंगाई और रुपये की गिरती कीमत पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना वीडियो साझा किया है, जिसमें वे 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर चिंता व्यक्त कर रहे थे। उस समय, भाजपा के अन्य नेताओं ने भी रुपये की गिरावट को देश की प्रतिष्ठा के लिए खतरा बताया था। तब एक डॉलर की कीमत लगभग 60 रुपये थी। अब जब डॉलर की कीमत 90 रुपये के करीब पहुंच गई है, कांग्रेस के नेता और उनके समर्थक सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो और पोस्ट साझा कर रहे हैं। जयराम रमेश ने मोदी का वीडियो साझा करने के बाद, एक कांग्रेस समर्थक ने आर्ट ऑफ लिविंग के रविशंकर की पोस्ट को साझा किया, जिसमें उन्होंने मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर डॉलर की कीमत 40 रुपये होने की उम्मीद जताई थी।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पुरानी बातें
सोशल मीडिया पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर भी पुरानी बातें याद दिलाई जा रही हैं। लोग प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ कई अन्य हस्तियों का मजाक बना रहे हैं। एक समय था जब फिल्म और क्रिकेट के सितारे पेट्रोल की कीमत 60 रुपये प्रति लीटर होने पर चिंतित थे, लेकिन अब जब कीमत 100 रुपये प्रति लीटर हो गई है, तो किसी को कोई समस्या नहीं हो रही है।
काले धन का मुद्दा और विपक्ष की रणनीति
विपक्षी पार्टियों के नेता केवल रुपये की गिरावट या पेट्रोल की कीमतों पर ही नहीं, बल्कि कई अन्य मुद्दों पर भी लोगों की याद्दाश्त को ताजा करने की कोशिश कर रहे हैं। 2014 में, नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विदेशों में इतना काला धन जमा है कि अगर वह वापस आ जाए तो हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये आ सकते हैं। लेकिन बाद में यह पता चला कि जो काला धन बताया गया था, वह वास्तविकता से बहुत कम था।
भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति
महंगाई, महिलाओं की सुरक्षा, नोटबंदी और अर्थव्यवस्था के ग्राफ जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है। नोटबंदी के बाद बाजार में नकदी की मात्रा दोगुनी हो गई है। भारत की अर्थव्यवस्था अब आयात पर निर्भर होती जा रही है, जिससे व्यापार घाटा तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल सितंबर में भारत का व्यापार घाटा 24.65 अरब डॉलर था, जो अगले साल बढ़कर 32.15 अरब डॉलर हो गया। हाल ही में अक्टूबर में यह आंकड़ा 41.68 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
सामूहिक याद्दाश्त और वर्तमान स्थिति
इस तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे और रुपये की गिरती कीमतों के बीच, सवाल उठता है कि अब क्यों किसी को इन मुद्दों पर चिंता नहीं है। क्या लोगों की सामूहिक याद्दाश्त इतनी कमजोर हो गई है कि वे पुराने वादों और मुद्दों को भूल गए हैं? आजकल हर दिन नए वादे और मुद्दे सामने आ रहे हैं, जिससे लोग उलझे हुए हैं।
धर्म और राजनीति का संबंध
जब धर्म की ध्वजा आसमान में लहराती है, तो रुपये की गिरती कीमत, पेट्रोल के बढ़ते दाम और व्यापार घाटे के बारे में बात करना धर्म विरोधी और देश विरोधी माना जा सकता है।