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कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विदेश प्रकोष्ठ से दिया इस्तीफा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी नेतृत्व से नाराज होकर विदेश प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनसे सलाह नहीं लेता था, जिससे प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी का कोई अर्थ नहीं रह गया। अब यह देखना है कि कांग्रेस नेतृत्व उनकी नाराजगी को कैसे लेता है, खासकर जब अगले साल राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं। उनकी उम्र 72 वर्ष हो चुकी है, और यदि उन्हें इस बार मौका नहीं मिलता है, तो उनकी राजनीतिक संभावनाएं समाप्त हो सकती हैं।
 

आनंद शर्मा का इस्तीफा

कांग्रेस के अनुभवी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने पार्टी के नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए विदेश प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वे पार्टी में बने रहेंगे, लेकिन अब वे विदेश प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। दरअसल, इस प्रकोष्ठ का संचालन उनके लिए अब कोई अर्थ नहीं रखता था, क्योंकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसी भी मुद्दे पर उनसे सलाह नहीं लेता था। वर्तमान में कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम चल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए आनंद शर्मा से कोई राय नहीं मांगी। इसी कारण उन्होंने विदेश प्रकोष्ठ के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया है।


कांग्रेस नेतृत्व की प्रतिक्रिया

अब यह देखना है कि क्या कांग्रेस का नेतृत्व उनकी नाराजगी को गंभीरता से लेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि आनंद शर्मा और कांग्रेस नेतृत्व के बीच की दूरी अभी बहुत अधिक नहीं बढ़ी थी। हाल ही में, जब सरकार ने विदेश भेजने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तैयार किया था, तब आनंद शर्मा का नाम भी प्रस्तावित किया गया था। कांग्रेस ने चार नाम भेजे थे, जिनमें आनंद शर्मा का नाम भी शामिल था। उनके नाम को गौरव गोगोई और सैयद नासिर हुसैन जैसे पार्टी के करीबी नेताओं के साथ रखा गया था। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनके लिए स्थिति बेहतर हो सकती है। लेकिन अब उनके इस्तीफे के बाद यह सवाल उठता है कि क्या उनकी राजनीतिक संभावनाएं प्रभावित होंगी। अगले साल अप्रैल में राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव होने वाले हैं। यदि इस बार आनंद शर्मा को मौका नहीं मिलता है, तो उनकी राजनीतिक संभावनाएं स्थायी रूप से समाप्त हो सकती हैं। उनकी उम्र भी अब 72 वर्ष हो चुकी है।