कांग्रेस में मंथन: बिहार चुनाव परिणामों के बाद उठे सवाल
नई दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में विचार-विमर्श का दौर शुरू हो गया है। चुनाव परिणामों के अगले दिन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने निवास पर शीर्ष नेताओं की एक बैठक बुलाई। इस बैठक में राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और वरिष्ठ नेता अजय माकन शामिल हुए।
बिहार चुनाव के परिणामों का विश्लेषण
बिहार में एनडीए की बड़ी जीत और कांग्रेस की सीटों में गिरावट के बाद यह पहली औपचारिक समीक्षा बैठक थी। एनडीए ने महागठबंधन को पराजित कर बिहार में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
किस पार्टी ने कितनी सीटें जीतीं?
भाजपा ने इस चुनाव में 89 सीटें जीतकर 2020 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं, नीतीश कुमार की जदयू ने 85 सीटें हासिल कीं। इसके विपरीत, राजद केवल 25 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसे केवल 6 सीटें मिलीं। पिछली बार उसके पास 19 सीटें थीं।
कांग्रेस का प्रतिक्रिया
चुनाव परिणामों के तुरंत बाद, कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार में बड़े पैमाने पर वोट चोरी हुई है और चुनाव निष्पक्ष नहीं था। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन चुनाव परिणामों की विस्तृत समीक्षा करेगा और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
मल्लिकार्जुन खरगे का बयान
मल्लिकार्जुन खरगे ने भी चुनाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस जनता के जनादेश का सम्मान करती है, लेकिन लोकतंत्र को कमजोर करने वाली ताकतों के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी चुनाव परिणामों का गहन अध्ययन करेगी और स्थिति को समझने के बाद विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी।
भाजपा पर आरोप
बिहार के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे हैं और पार्टी को इंडिया गठबंधन की कमजोर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने भाजपा पर वोट चोरी के आरोप लगाए थे, लेकिन इन मुद्दों का जनता पर कोई असर नहीं पड़ा। कांग्रेस अब यह समीक्षा कर रही है कि पार्टी का जनाधार क्यों घट रहा है।
कांग्रेस में हलचल का कारण
बैठक में यह भी माना गया कि बिहार में संगठनात्मक कमजोरी और स्थानीय स्तर पर रणनीति की कमी का असर पार्टी के नतीजों पर पड़ा है। चुनाव परिणामों ने कांग्रेस के भीतर हलचल बढ़ा दी है और पार्टी अब आगामी चुनावों से पहले आत्ममंथन में जुट गई है।