कांग्रेस में शशि थरूर के लेख पर मचा बवाल: क्या है पक्षी रूपक का सच?
कांग्रेस में हलचल: थरूर का लेख
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर द्वारा आपातकाल पर लिखे गए एक लेख ने पार्टी में हलचल पैदा कर दी है। इस लेख को 'प्रोजेक्ट सिंडीकेट' में प्रकाशित किया गया है, जिसमें थरूर ने 1975 में लागू आपातकाल को केवल एक 'काला अध्याय' नहीं, बल्कि लोकतंत्र और सत्ता के दुरुपयोग के महत्वपूर्ण सबक के रूप में पेश किया है। उन्होंने उस समय की नीतियों और संजय गांधी की भूमिका की आलोचना की, लेकिन उनके संतुलित दृष्टिकोण को कुछ पार्टी नेताओं ने भाजपा की भाषा के समान बताया।
मणिकम टैगोर का कटाक्ष
मणिकम टैगोर का तंज
थरूर के लेख के प्रकाशन के तुरंत बाद, कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बिना नाम लिए एक टिप्पणी की। उन्होंने लिखा, “जब कोई सहकर्मी भाजपा की बातें शब्दशः दोहराने लगे, तो आप सोचने लगते हैं—क्या चिड़िया तोता बन रही है? नकल चिड़ियों में प्यारी लगती है, राजनीति में नहीं।” यह ट्वीट थरूर पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष माना जा रहा है.
आपातकाल की आलोचना
आपातकाल की आलोचना
थरूर ने अपने लेख में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान हुई कई ज़्यादतियों को स्वीकार किया। उन्होंने संजय गांधी के जबरन नसबंदी अभियानों, झुग्गी-झोपड़ियों के विध्वंस और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन का विस्तार से उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता का केंद्रीकरण, असहमति का दमन और संवैधानिक संस्थाओं की उपेक्षा की प्रवृत्ति आज भी विभिन्न रूपों में लौट सकती है.
कांग्रेस के भीतर मतभेद
कांग्रेस के भीतर मतभेद
थरूर के विचार और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कई कांग्रेस नेताओं को पसंद नहीं आई है। उनकी पीएम मोदी की प्रशंसा, भारत-पाक संबंधों पर विवादित टिप्पणियाँ और सरकार के 'ऑपरेशन सिंदूर' में सक्रिय भागीदारी को पार्टी लाइन से अलग देखा जा रहा है। इससे पहले भी, उन्होंने 'उड़ान' वाले ट्वीट में संकेत दिया था कि वे पार्टी के दायरे से बंधे नहीं हैं.
पक्षी रूपक का विवाद
'पक्षी रूपक' बन गया बहस का केंद्र
थरूर द्वारा साझा की गई एक चिड़िया की तस्वीर, जिसमें लिखा था 'उड़ने की इजाज़त मत मांगो. पंख तुम्हारे हैं. और आसमान किसी का नहीं,' को उनके आलोचकों के लिए एक परोक्ष जवाब माना गया। इसके अगले दिन, मणिकम टैगोर ने उसी पक्षी रूपक का उपयोग करते हुए जवाब दिया, “एक स्वतंत्र पक्षी को भी आसमान पर नज़र रखनी चाहिए – बाज़, गिद्ध और चील शिकार करते हैं।”
इस बहस को कांग्रेस के भीतर वैचारिक दरार और अनुशासन बनाम स्वतंत्रता की जंग के रूप में देखा जा रहा है। थरूर जैसे नेता पार्टी की पारंपरिक सोच से हटकर अपनी बात कहने में विश्वास रखते हैं, जबकि टैगोर जैसे नेता इसे अनुशासनहीनता मानते हैं.