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कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव: ठाकुर बनाम जाट की दिलचस्प लड़ाई

कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव एक दिलचस्प मोड़ ले चुका है, जिसमें संजीव बालियान और राजीव प्रताप रूड़ी के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। यह चुनाव केवल एक पद का नहीं, बल्कि भाजपा के दो धड़ों के बीच की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। ठाकुर बनाम जाट की यह लड़ाई उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा तक फैली हुई है। जानें इस चुनाव की पूरी कहानी और इसके पीछे के राजनीतिक समीकरण।
 

कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव

कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव अब एक रोमांचक मोड़ ले चुका है। जब भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के खिलाफ भाजपा के पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने नामांकन भरा, तभी से इस चुनाव पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इस चुनाव की कई परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। यह केवल कांस्टीट्यूशन क्लब के सचिव पद का चुनाव नहीं है, बल्कि यह अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा और नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह की भाजपा के बीच की प्रतिस्पर्धा भी मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अमित शाह का समर्थन इस चुनाव में बालियान के पक्ष में है। यह मुकाबला ठाकुर बनाम जाट का भी बन गया है।


ठाकुर बनाम जाट की लड़ाई

उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा तक ठाकुर और जाट के बीच की लड़ाई का इतिहास रहा है। जब उत्तर प्रदेश के ठाकुर नेता ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ हरियाणा की महिला पहलवानों ने मोर्चा खोला, तब इसे यूपी बनाम हरियाणा और ठाकुर बनाम जाट की लड़ाई के रूप में देखा गया। इस संघर्ष में अभी तक ब्रजभूषण शरण का पलड़ा भारी रहा है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में संजीव बालियान और संगीत सोम के बीच का विवाद भी काफी चर्चित है। बालियान 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल 24 हजार वोटों से हार गए थे, जिसके लिए उनके समर्थकों ने ठाकुर समाज के विधायक संगीत सोम को जिम्मेदार ठहराया था। इससे पहले, संगीत सोम के समर्थकों ने आरोप लगाया था कि बालियान के इशारे पर जाटों ने उन्हें वोट नहीं दिया, जिससे वे 2022 के विधानसभा चुनाव में हार गए। अब यह लड़ाई दिल्ली के प्रतिष्ठित कांस्टीट्यूशन क्लब में हो रही है।