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कामकाजी माताओं की चुनौतियाँ: मातृत्व और करियर का संतुलन

कामकाजी माताओं के लिए मातृत्व और करियर का संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इस लेख में, एक मां की यात्रा को दर्शाया गया है, जो समाज के दबावों और सलाहों का सामना करती है। वह अपने बच्चे के लिए एक बेहतर जीवन देने की कोशिश करती है, जबकि अपने सपनों को भी पूरा करने का प्रयास करती है। जानें कैसे मातृत्व केवल त्याग नहीं, बल्कि एक शक्ति है जो खुद को और दुनिया को बेहतर बना सकती है।
 

कामकाजी माताओं की यात्रा

डिजिटल डेस्क: "जब मैंने पहली बार मां बनने की सूचना दी, तो बधाइयों के बजाय सलाहों की बौछार शुरू हो गई। जैसे ही लोगों को मेरी गर्भावस्था का पता चला, उनके चेहरे पर मुस्कान कम और सुझाव ज्यादा थे। 'अब तो नौकरी छोड़ दो', 'बच्चे की देखभाल करो, करियर बाद में भी हो जाएगा', 'मातृत्व का मतलब त्याग है, सिर्फ ऑफिस की चमक नहीं'।" ये बातें एक कामकाजी महिला को मां बनने के बाद अक्सर सुनने को मिलती हैं। जब मैंने छह महीने की मातृत्व अवकाश के बाद दफ्तर लौटने का निर्णय लिया, तो ऐसा लगा जैसे मैं फिर से किसी परीक्षा में बैठ रही हूं। पहले दिन ही किसी ने मजाक में पूछा, "क्या तुम मीटिंग में बैठ पाओगी?" किसी और ने कहा, "इतनी लंबी छुट्टी ली है, सब भूल तो नहीं गई होंगी?" उस समय मेरी आंखों में केवल मेरा बेटा था, जिसे मैंने घर पर छोड़ दिया था। उसकी आंखों में जो मूक सवाल था – "मम्मा, मत जाओ" – वह हर घंटे मेरी ममता को कचोटता रहा। लेकिन मुझे लौटना था। सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उस बेटे के लिए भी, जिसे मैं एक बेहतर जीवन देना चाहती हूं।‘हीरो मम्मी’... क्यों नहीं?" जिन शरीर ने नौ महीने एक जीवन को अपने भीतर पाला, उनके बारे में भी लोगों ने कमेंट करने से नहीं चूके। "तुम्हें देखकर लगता ही नहीं कि बच्चा हुआ है!" "इतनी जल्दी फिट कैसे हो गई?" "कोई स्पेशल क्रीम लगाती हो क्या?" क्या फर्क पड़ता है? अगर एक मां खुद को संभालती है, तो यह तारीफ है या ताना। आंसुओं से आत्मबल तक का सफर शुरू में इन सवालों ने मुझे तोड़ दिया था। अक्सर अकेले में रोती थी, खुद से सवाल करती थी – "क्या मैंने कुछ गलत किया?" लेकिन फिर मैंने खुद को समझाया – मां होना किसी को खुश करने की प्रतियोगिता नहीं है। यह अपने बच्चे, अपने सपनों और खुद की जिम्मेदारी है। अब मैं जानती हूं, मातृत्व त्याग का नाम नहीं है, बल्कि यह वह शक्ति है जो खुद को और दुनिया को बेहतर बना सकती है। हम सबकी कहानी है यह। हर कामकाजी मां की जिंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं, जहां उसे समाज, परिवार और दफ्तर – तीनों से सवालों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इन सवालों के जवाब देने की जरूरत नहीं है, अगर आपके भीतर आत्मविश्वास हो। क्योंकि एक मां जो खुद को नहीं भूली, वही अपने बच्चे को भी दुनिया का सामना करना सिखा सकती है।