×

किशनगंज में चुनावी हलचल: AIMIM और महागठबंधन की टक्कर

बिहार चुनाव के दूसरे चरण में किशनगंज की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। AIMIM और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, जिसमें मुस्लिम वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस क्षेत्र में चाय की खेती और स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है। जानें इस चुनावी मुकाबले की पूरी कहानी।
 

किशनगंज में चुनावी गतिविधियाँ

किशनगंज: बिहार चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान सभी की नजरें सीमांचल के किशनगंज पर हैं, जो राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। सीमांचल की चौबीस विधानसभा सीटों में से चार किशनगंज जिले में आती हैं, और यहां की राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस और RJD को एक-एक सीट मिली थी।


महागठबंधन और AIMIM के बीच सीधी टक्कर

इस बार किशनगंज में महागठबंधन और AIMIM के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। RJD ने ठाकुरगंज सीट पर अपने मौजूदा विधायक सऊद आलम को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जबकि अन्य तीन सीटों पर टिकटों का वितरण हुआ है। कांग्रेस ने AIMIM के पूर्व विधायक कमरूल होदा को किशनगंज सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है, और बहादुरगंज सीट पर AIMIM के पूर्व विधायक तौसीफ आलम को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार चुना है। कोचाधामन सीट पर RJD ने JDU के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम को मैदान में उतारा है।


AIMIM और बीजेपी के बीच मुकाबला

AIMIM और बीजेपी के बीच मुकाबला

इस बार AIMIM ने पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा है। किशनगंज सीट पर AIMIM और बीजेपी के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है, और यदि AIMIM ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया तो बीजेपी को लाभ हो सकता है। ठाकुरगंज और बहादुरगंज सीटों पर भी AIMIM का प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है।


मुस्लिम वोटरों की भूमिका

क्यों है मुस्लिम वोटरों की अहम भूमिका?

किशनगंज जिले की राजनीति में मुस्लिम वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि यहां की लगभग 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय से है। स्थानीय मुद्दों में रोजगार और विकास सबसे प्रमुख हैं, लेकिन यहां की राजनीति में मुस्लिम और हिंदू के बीच स्पष्ट विभाजन दिखाई देता है। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्लिम युवाओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, जबकि कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन भी मुस्लिम समुदाय में काफी मजबूत है।


चाय की खेती

चाय की खेती

किशनगंज का मौसम चाय की खेती के लिए अनुकूल माना जाता है, लेकिन यहां के चाय बागान मालिकों का कहना है कि चाय की खेती लाभकारी नहीं है। लोगों का मुख्य मुद्दा रोजगार और विकास है, और क्षेत्र की जनता चाहती है कि आने वाली सरकार इस क्षेत्र के लिए विशेष ध्यान दे, उद्योगों को बढ़ावा दे और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए।