कैप्टन सुमित सभरवाल का अंतिम संस्कार: पिता का दिल तोड़ने वाला दृश्य
कैप्टन सुमित सभरवाल का अंतिम विदाई
12 जून को अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की दुर्घटना के पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल का अंतिम संस्कार मंगलवार को मुंबई में किया गया। इस हादसे ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। सबसे भावुक क्षण तब आया जब 88 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल ने कांपते हाथों और आंसुओं के साथ अपने बेटे को अंतिम विदाई दी।
पवई में मातम का माहौल
जब शव पवई में घर पहुंचा, तो वहां शोक का माहौल था। पुष्करराज ताबूत के सामने हाथ जोड़कर खड़े थे, जैसे उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सहारा खो दिया हो। इस क्षण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने सभी की आंखों को नम कर दिया।
दुर्घटना में 242 लोगों की जान गई
एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171, अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही क्षण बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों और 29 ग्राउंड स्टाफ की जान चली गई। बताया गया है कि विमान ने MAYDAY कॉल दी थी और इसके तुरंत बाद यह मेडिकल कॉम्प्लेक्स से टकराकर जलकर खाक हो गया। कैप्टन सुमित और उनके सह-पायलट क्लाइव कुंदर की मौके पर ही मौत हो गई।
पिता का दर्द और अधूरा सपना
कैप्टन सुमित के पिता पुष्करराज ने आंसू भरी आंखों से कहा, "वह मेरे बुढ़ापे का सहारा था... अब वह नहीं रहा।" परिवार के सदस्यों के अनुसार, सुमित जल्द ही रिटायर होने वाले थे ताकि अपने वृद्ध पिता की देखभाल कर सकें। एक करीबी मित्र ने बताया, "वह अक्सर कहता था- अब समय है लौटाने का, जिन्होंने मुझे पाला। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया।"
अंतिम क्षणों में MAYDAY कॉल
60 वर्षीय सुमित सभरवाल एक अनुभवी पायलट थे, जिनके पास 8,200 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव था। जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, वह लगभग 50 सेकंड में आग की लपटों में घिर गया। अंतिम बार सुमित ने ATC को संदेश भेजा: "मेयडे, मेडे, मेडे... कोई शक्ति नहीं, कोई जोर नहीं, नीचे जा रहा है।" इसके बाद विमान से संपर्क टूट गया और यह डॉक्टर्स हॉस्टल पर जा गिरा।
चकाला में अंतिम संस्कार
मंगलवार दोपहर पवई से चकाला स्थित इलेक्ट्रिक शवदाह गृह तक अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान विधायक दिलीप लांडे और उद्योगपति निरंजन हीरानंदानी सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। पिता पुष्करराज पूरे समय शांत रहे, लेकिन उनकी चुप्पी एक टूटे हुए दिल की पुकार, अधूरे सपनों की टीस और एक बेटे के जाने का न भर पाने वाला खालीपन बयां कर गई।