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क्या S-400 डिफेंस सिस्टम से इजरायल की हमले की क्षमता कम होती? पुतिन का बड़ा खुलासा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर ईरान के पास S-400 डिफेंस सिस्टम होता, तो इजरायल का हमला सफल नहीं हो पाता। पुतिन ने बताया कि उन्होंने यह प्रस्ताव ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को दिया था, लेकिन ईरान ने इसे स्वीकार नहीं किया। इस बीच, इजरायल ने हाल में ईरान पर हमले कर 600 से अधिक लोगों की जान ले ली है। जानें इस मामले में रूस की स्थिति और ईरान की प्रतिक्रिया।
 

पुतिन का चौंकाने वाला बयान

हाल ही में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में पत्रकारों के सामने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि अगर ईरान के पास रूसी S-400 डिफेंस सिस्टम होता, तो इजरायल का हमला सफल नहीं हो पाता।


खामेनेई को दिया गया प्रस्ताव

पुतिन ने बताया कि उन्होंने यह प्रस्ताव कुछ साल पहले ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को दिया था। उनका इरादा था कि ईरान S-400 सिस्टम खरीदे, लेकिन खामेनेई ने उस समय इस पर कोई त्वरित निर्णय नहीं लिया। रूस ने ईरान को इस अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली को खरीदने का अवसर दिया था, लेकिन ईरान ने निर्णय में देरी की और अंततः इसे स्वीकार नहीं किया।


S-400 एक अत्याधुनिक मिसाइल रोधी प्रणाली है, जिसे रूस ने 2007 में पेश किया था। इसकी रेंज लगभग 400 किमी है और यह मल्टी-ट्रैकिंग क्षमता, उच्च रेंज मिसाइलों और तेज प्रतिक्रिया समय के साथ दुश्मन की मिसाइलों और ड्रोन के खिलाफ प्रभावी रक्षा करता है। यह प्रणाली केवल रूस द्वारा ही नहीं, बल्कि अन्य देशों द्वारा भी खरीदी जा सकती है। हालांकि, इसकी कीमत लगभग 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 780 करोड़ रुपये) प्रति यूनिट है।


इजरायल की सैन्य कार्रवाई

हाल ही में, इजरायल ने ईरान पर हमले कर 600 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जिनमें सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक शामिल हैं। मुख्य रूप से, ईरान की राजधानी तेहरान और वैज्ञानिक केंद्रों को निशाना बनाया गया। इस हमले के परिणामस्वरूप लगभग 2,000 लोग घायल हुए हैं। इजरायल की सैन्य कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग किया गया, जिसमें ईरानी रक्षा तंत्र विशेषकर ड्रोन हन्टिंग में कमजोर साबित हुआ।


रूस की स्थिति

पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक ईरान ने रूस से कोई औपचारिक सैन्य सहायता की मांग नहीं की है। न ही कोई ऐसा समझौता हुआ है, जिसके तहत रूस स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाए। उन्होंने कहा कि जब तक कोई आधिकारिक मांग नहीं होती, रूस इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा।