क्या अमेरिका का पतन शुरू हो चुका है? जानिए इसके कारण
अमेरिका की स्थिति पर सवाल
अमेरिका, जो लोकतंत्र, मानवाधिकार और नैतिकता की बात करता है, अब पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के केंद्र को प्राथमिकता दे रहा है। यह वही पाकिस्तान है जिसने ओसामा बिन लादेन को शरण दी और जिहादी ताकतों को समर्थन दिया। ऐसे विरोधाभासों के बीच, क्या अमेरिका अपनी 'सुपरपॉवर' की स्थिति को बनाए रख पाएगा?
अमेरिकी साम्राज्य का पतन?
क्या अमेरिका का पतन शुरू हो गया है? यह कोई सामान्य विचार नहीं है, बल्कि इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब बड़े साम्राज्य एक निर्णायक मोड़ पर गिर गए। फारसी साम्राज्य से लेकर ब्रिटिश साम्राज्य तक, सभी का अंत हुआ है। आज अमेरिका की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है।
अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ
अमेरिकी कोषागार के अनुसार, 2019 तक अमेरिका पर लगभग 27 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो 2025 तक 37 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। यह स्थिति अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आकार से भी अधिक है। क्या राष्ट्रपति ट्रंप अपने देश के कर्ज को चुकाने के लिए अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं?
अमेरिका का वैश्विक प्रभाव
1945 के बाद, अमेरिका ने खुद को मानवाधिकार और लोकतंत्र का रक्षक बताया। लेकिन विडंबना यह है कि वही अमेरिका अब दूसरों को नियमों का पालन करने की सलाह देता है, जबकि खुद अपने हितों के लिए उन्हें तोड़ता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका का दोहरा मापदंड स्पष्ट है।
भारत और जापान पर दबाव
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन और जापान यात्रा के दौरान, ट्रंप प्रशासन ने जापान पर अमेरिकी चावल के लिए बाजार खोलने का दबाव डाला। जब जापान ने इसे अस्वीकार किया, तो वार्ता रद्द कर दी गई। भारत पर भी इसी तरह का दबाव डाला गया, जिसे भारत ने राष्ट्रहित में ठुकरा दिया।
बदलता वैश्विक शक्ति संतुलन
भारत, चीन, रूस और ब्राजील के नेतृत्व वाले ब्रिक्स ने अमेरिका के जी-7 को वैश्विक उत्पादन में पीछे छोड़ दिया है। ब्रिक्स का योगदान 35% है, जबकि जी-7 का केवल 28%। यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका का वैश्विक वर्चस्व घट रहा है।
अमेरिकी समाज की समस्याएँ
अमेरिका में युवा अकेलेपन और अवसाद से जूझ रहे हैं। सामूहिक गोलीबारी की घटनाएँ बढ़ रही हैं, और तलाक की दर भी चिंताजनक स्तर पर पहुँच गई है। यह सब अमेरिका के विकास मॉडल की विफलता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
अंततः, अमेरिका जिन देशों की प्रतिष्ठा पर लोकतंत्र और मानवाधिकार की बात करता है, उनकी कीमत पर वह पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के केंद्र को तरजीह दे रहा है। ऐसे विरोधाभासों के बीच, क्या अमेरिका अपनी 'सुपरपॉवर' स्थिति को बनाए रख पाएगा?