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क्या इमरान खान और जनरल मुनीर के बीच हो रहा है कोई सियासी समझौता?

पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच संभावित सियासी समझौते की चर्चा जोरों पर है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इमरान खान को जमानत दिए जाने और विपक्षी दलों के समर्थन ने इस स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। वरिष्ठ पत्रकार सोहेल वराइच के इंटरव्यू के दावे ने भी राजनीतिक हलचल को बढ़ाया है। जानें इस लेख में पूरी जानकारी।
 

इमरान खान की राजनीतिक स्थिति

इमरान खान: पाकिस्तान की राजनीति में इस समय एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के बीच कोई राजनीतिक समझौता हो रहा है? इस अटकल के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय जिसमें इमरान खान को सेना से जुड़े आठ मामलों में एक साथ जमानत दी गई। दूसरा, सेना प्रमुख के कथित इंटरव्यू को लेकर उत्पन्न विवाद।


वरिष्ठ पत्रकार सोहेल वराइच का बयान

वरिष्ठ पत्रकार सोहेल वराइच का दावा 


हाल ही में, वरिष्ठ पत्रकार सोहेल वराइच ने कहा कि उन्होंने ब्रुसेल्स में जनरल मुनीर का इंटरव्यू लिया है, जिसमें मुनीर ने इमरान खान से माफी मांगने की बात कही थी। इस बयान ने पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मचा दी। हालांकि, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने इस इंटरव्यू को फर्जी बताते हुए स्पष्ट किया कि सेना प्रमुख ने कोई इंटरव्यू नहीं दिया है।


विपक्षी दलों का इमरान खान के प्रति समर्थन

विपक्षी दलों का इमरान खान के प्रति झुकाव 


इस बीच, विपक्षी दलों का इमरान खान के प्रति झुकाव राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना रहा है। विपक्षी नेता फजल उर रहमान और महमूद खान अचकजई की पार्टियों ने इमरान को नेता प्रतिपक्ष बनाने के निर्णय का समर्थन किया है। यह ध्यान देने योग्य है कि फजल उर रहमान को पहले सेना का करीबी माना जाता रहा है, ऐसे में उनका इमरान के पक्ष में आना संकेत देता है कि शायद पर्दे के पीछे कुछ बातचीत चल रही है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2023 के मामले में इमरान सहित 63 पीटीआई कार्यकर्ताओं को जमानत दी है। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक दो महीने की जांच के लिए पर्याप्त थे, लेकिन कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकार के वकीलों को भी फटकार लगाई।


9 मई की घटना का प्रभाव

9 मई को पीटीआई समर्थकों ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था, जिससे सेना की 40 से अधिक इमारतों को नुकसान पहुंचा और आठ लोगों की जान गई। इस गंभीर हमले के बावजूद, सेना की ओर से कोर्ट के फैसले पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जो कई सवाल खड़े कर रही है।