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क्या कांग्रेस भाजपा विरोधी वोट को एकजुट कर पाएगी?

राहुल गांधी ने जर्मनी में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विचारों का समर्थन करने वाले लोग हैं, लेकिन विरोध भी। कांग्रेस की रैली में भीड़ जुटी, लेकिन क्या यह भाजपा विरोधी वोट को एकजुट कर पाएगी? जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 'वोट चोरी' को केवल कांग्रेस का मुद्दा बताया। कांग्रेस की चिंता अपने मुस्लिम वोट बैंक को लेकर है। जानें इस राजनीतिक स्थिति का क्या होगा आगे?
 

राहुल गांधी की जर्मनी यात्रा और कांग्रेस की स्थिति

जर्मनी में एक कार्यक्रम के दौरान, राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों का समर्थन करने वाले कई लोग हैं, जबकि कई उनके खिलाफ भी हैं। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कांग्रेस को बताया था कि लगभग 60 प्रतिशत मतदाता भाजपा के खिलाफ वोट देते हैं। यदि इस वोट को एकजुट किया जाए, तो भाजपा को रोका जा सकता है। अब सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाकर भाजपा विरोधी वोट को एकजुट करने का प्रयास करेंगे? वर्तमान में कांग्रेस के उठाए गए मुद्दों से यह संभावना कम नजर आ रही है।


कांग्रेस की रैली और विपक्षी दलों की दूरी

कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 'वोट चोर, गद्दी छोड़' रैली का आयोजन किया। 14 दिसंबर को हुई इस रैली में भीड़ जुटी, जो कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति खत्म हो गई है, लेकिन आसपास के राज्यों में उनकी स्थिति बेहतर है। हरियाणा में कांग्रेस की मजबूती के कारण लोग रैलियों में शामिल होने आते हैं।


वोट चोरी का मुद्दा और विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

कांग्रेस का यह मुद्दा अब अकेले उसका है, जैसा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 'वोट चोरी' केवल कांग्रेस का मुद्दा है। दूसरी ओर, एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले ने संसद में कहा कि वह ईवीएम पर सवाल नहीं उठाएंगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा विरोधी दल कांग्रेस के इस मुद्दे से दूरी बना रहे हैं।


कांग्रेस का चुनावी नैरेटिव

कांग्रेस ने अपनी हार का ठीकरा वोट चोरी पर डालने का प्रयास किया है। लेकिन यह भी सच है कि विपक्षी दल चुनाव आयोग के कामकाज से असंतुष्ट हैं, लेकिन वे इसे संतुलित तरीके से उठाते हैं। वे चुनाव प्रक्रिया में सुधार की बात करते हैं, लेकिन भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगाने से बचते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी दल चुनावी हार को स्वाभाविक प्रक्रिया मानते हैं।


कांग्रेस की चिंता और भविष्य

कांग्रेस को अपने मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है। यदि मुसलमानों को यह विश्वास हो गया कि कांग्रेस भाजपा को नहीं रोक पाएगी, तो वे दूसरा विकल्प खोजेंगे। इसलिए कांग्रेस ने यह प्रचारित करना शुरू किया कि उनकी हार का कारण वोट चोरी है। राहुल गांधी अब चुनाव आयुक्तों को धमकी दे रहे हैं, जो एक खराब परंपरा है। यह स्थिति कांग्रेस को विपक्षी दलों को एकजुट करने और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से रोक रही है।