क्या कांग्रेस में फिर से होगा विभाजन? जानें संभावनाएं
कांग्रेस में विभाजन की चर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद एक महत्वपूर्ण सवाल उठ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस में संभावित विभाजन की बात की है। भाजपा मुख्यालय में एक स्वागत समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस में एक और बड़ा विभाजन संभव है। इस पर कांग्रेस ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री पार्टी में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं और वर्तमान में पार्टी के टूटने का कोई कारण नहीं है। इसके साथ ही, मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस अब मुस्लिम लीगी माओवादी पार्टी बनती जा रही है। इस पर शशि थरूर ने टिप्पणी की कि कांग्रेस अब पहले से अधिक वामपंथी नजर आ रही है, जो कि मुख्यधारा की राजनीति से इसे अलग करने का एक प्रयास हो सकता है।
कांग्रेस के विभाजन की संभावनाएं
हालांकि, मोदी और थरूर की बातों को छोड़कर, क्या कांग्रेस में वास्तव में विभाजन की संभावना है? यह ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस अब तक सबसे अधिक टूटने वाली पार्टी रही है। समाजवादी पार्टियों और भाजपा में भी कई बार विभाजन हुए हैं, लेकिन कांग्रेस का मामला कुछ अलग है। भाजपा में तोड़ने वाले अधिकांश नेता असफल होते हैं और फिर पार्टी में लौट आते हैं, जबकि कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की सफलता की दर अधिक है। इसके अलावा, भाजपा में शामिल होकर सफल होने वाले नेताओं की संख्या भी बढ़ रही है। इसलिए, कांग्रेस के विभाजन की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया जा सकता। लेकिन असली सवाल यह है कि इसका समय क्या होगा।
राज्य स्तर पर विभाजन की संभावना
अब यह सवाल उठता है कि क्या विभाजन किसी राज्य में होगा या फिर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में विभाजन होगा? कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि जब जी 23 का गठन हुआ था और कई नेताओं ने नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, तब पार्टी के टूटने की संभावना अधिक थी। वर्तमान में चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्योंकि बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है, जहां उसे केवल छह सीटें मिली हैं। पिछले चुनाव में पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। फिर भी, पार्टी नहीं टूटी। माना जा रहा है कि जो नेता अब कांग्रेस में बचे हैं, वे या तो प्रतिबद्ध हैं या उन्हें उम्मीद है कि उनकी राजनीति कांग्रेस के साथ चलती रहेगी। जब यह भ्रम टूटेगा, तब पार्टी के टूटने की संभावना बढ़ेगी।
कांग्रेस में आंतरिक असंतोष
एक और कारण यह बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के करीबी नेताओं से पार्टी के कई बड़े नेता नाराज हैं। बिहार में कृष्णा अल्लावरू के कारण कई नेता चिढ़े हुए हैं। कर्नाटक में, मुख्यमंत्री पद की आस लगाए डीके शिवकुमार की नाराजगी बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव, पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी, और केरल में शशि थरूर जैसे नेताओं के बारे में भी अलग-अलग बातें सामने आती रहती हैं। यदि राहुल गांधी संगठन में साथ लेकर चलने वाले लोगों को आगे नहीं बढ़ाते हैं या पार्टी किसी कारणवश जीतना शुरू नहीं करती है, तो विभाजन की संभावना और भी गहरी हो जाएगी।