क्या चीन में शी जिनपिंग का युग समाप्त हो रहा है? जानें संभावित उत्तराधिकारियों के नाम
चीन की राजनीति में हलचल
चीन की राजनीतिक स्थिति इन दिनों काफी उथल-पुथल में है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले कुछ हफ्तों से सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए हैं। न ही उनकी कोई नई तस्वीर आई है और न ही किसी सरकारी बैठक में उनकी उपस्थिति की पुष्टि हुई है। इस स्थिति ने अटकलों को जन्म दिया है कि चीन की सख्त सत्ता प्रणाली में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
BRICS शिखर सम्मेलन में अनुपस्थिति
इन अटकलों को और बल मिला जब यह पुष्टि हुई कि शी जिनपिंग इस बार ब्राज़ील में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। यह उनके कार्यकाल में पहली बार होगा जब वह किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच से अनुपस्थित रहेंगे। अब सवाल उठता है कि यदि वास्तव में शी का युग समाप्त हो रहा है, तो अगला नेता कौन होगा?
शी जिनपिंग के संभावित उत्तराधिकारी
शी जिनपिंग की रहस्यमय अनुपस्थिति के बीच पार्टी के भीतर कुछ प्रमुख नेताओं के नाम तेजी से उभर रहे हैं। आइए जानते हैं कौन-कौन हैं ये संभावित दावेदार:
सेना का प्रमुख चेहरा
जनरल झांग, जो वर्तमान में केंद्रीय सैन्य आयोग के पहले उपाध्यक्ष हैं, शी जिनपिंग के बाद सबसे ऊंचे सैन्य अधिकारी माने जाते हैं। पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ से जुड़े धड़ों का समर्थन प्राप्त होने के कारण उनकी सत्ता में पकड़ मजबूत होती जा रही है। सेना में उनकी गहरी पैठ उन्हें एक मजबूत उत्तराधिकारी बनाती है।
प्रधानमंत्री और जिनपिंग के करीबी सहयोगी
2023 में प्रधानमंत्री बने ली क्यांग, शी जिनपिंग के लंबे समय से भरोसेमंद सहयोगी हैं। शंघाई में कोविड लॉकडाउन के दौरान उनके नेतृत्व की सराहना हुई और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर उनकी उपस्थिति से उनका कद बढ़ा है। वर्तमान में, वे आर्थिक नीतियों की जिम्मेदारी संभालते हैं और सत्ता के दूसरे सबसे मजबूत स्तंभ माने जाते हैं।
पर्दे के पीछे का संचालन
डिंग शुएशियांग, जो पूर्व में जिनपिंग के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं, बिना किसी प्रांतीय प्रशासनिक अनुभव के ऊंचे पदों पर पहुंचे हैं। जिनपिंग के साथ उनकी नजदीकी और नीतिगत तालमेल उन्हें एक संभावित उत्तराधिकारी बनाती है, खासकर यदि सत्ता का हस्तांतरण वफादारी के आधार पर होता है।
विचारधारा के रणनीतिकार
वांग हुनिंग, जो वर्तमान में चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं, पार्टी के तीन राष्ट्रपतियों के सलाहकार रह चुके हैं। भले ही उनके पास प्रशासनिक अनुभव न हो, लेकिन विचारधारा और रणनीति के स्तर पर उनकी पकड़ उन्हें 'किंगमेकर' की भूमिका में रखती है।
सुधारों का चेहरा
झाओ लेजी, जो एंटी-करप्शन मुहिम के प्रमुख रह चुके हैं, वर्तमान में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे पोलितब्यूरो स्थायी समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं और पार्टी अनुशासन व विधायी मामलों में विशेषज्ञ माने जाते हैं। यदि पार्टी स्थायित्व चाहती है, तो वे एक संतुलित विकल्प बन सकते हैं।
पार्टी के वफादार चेहरे
ली होंगझोंग ने क्षेत्रीय प्रशासनों से होते हुए पार्टी में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। भले ही वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कम चर्चित हों, लेकिन पार्टी ढांचे में उनकी मजबूत मौजूदगी और शी जिनपिंग के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें एक 'डार्क हॉर्स' उम्मीदवार बनाती है।
भारत के लिए संभावित प्रभाव
यदि शी जिनपिंग की अनुपस्थिति वास्तव में सत्ता के बदलाव की ओर इशारा कर रही है, तो यह भारत के लिए कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है। विशेष रूप से जनरल झांग जैसे सैन्य अधिकारियों के उभार से सीमा पर तनाव या रणनीतिक भटकाव की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। यदि चीन आंतरिक अस्थिरता का सामना कर रहा है, तो वह बाहरी मोर्चों पर आक्रामक रुख अपना सकता है।
क्या वाकई खत्म हो रहा है 'शी युग'?
चीन जैसे सख्त सेंसरशिप वाले देश में जब इस तरह की अटकलें बाहर आने लगती हैं, तो इसका मतलब केवल अटकलें नहीं होता। शी जिनपिंग की सार्वजनिक अनुपस्थिति और उनके संभावित उत्तराधिकारियों की चर्चा इस ओर संकेत करती है कि पर्दे के पीछे कुछ बड़ा चल रहा है। आने वाले कुछ सप्ताह चीन के राजनीतिक इतिहास में निर्णायक साबित हो सकते हैं।